अंतिम दर्शन के लिए कांग्रेस हेडक्वॉर्टर में रखा जाएगा डॉ मनमोहन का पार्थिव शरीर, शनिवार को होगा अंतिम-संस्कार

नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के देहांत की खबर से पूरा देश शोक मगन है। दुनियाभर के कई दिग्गज भारत के पूर्व प्रधान को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। वहीं, डॉ मनमोहन सिंह को अंतिम बिदाई देने की भी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं, और उनकी पुत्री का इंतज़ार किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि, मनमोहन सिंह की पुत्री मध्यरात्रि के बाद भारत पहुंचेंगी। 

कांग्रेस सूत्रों ने शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए बताया है कि, पूर्व पीएम का पार्थिव शरीर दिल्ली में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) मुख्यालय में जनता के दर्शन के लिए रखा जाएगा । पार्टी सूत्रों ने बताया था कि 'अंतिम दर्शन' शनिवार को सुबह 8:00 से 10:00 बजे के बीच होगा। राहुल गांधी और सोनिया गांधी सहित सभी नेता AICC हेडक्वार्टर में पूर्व पीएम को श्रद्धांजलि देंगे, जिसके बाद अंतिम संस्कार किया जाएगा। 

उल्लेखनीय है कि, भारत के वित्त मंत्री के रूप में 1991 के आर्थिक उदारीकरण सुधारों को शुरू करने के लिए प्रसिद्ध सिंह का अंतिम संस्कार राजघाट के पास किया जाएगा , जहां प्रधानमंत्रियों का अंतिम संस्कार किया जाता है। कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने शुक्रवार सुबह कहा कि जनता के दर्शन का कार्यक्रम अभी तय नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री की बेटी के विदेश से आने के बाद अंतिम संस्कार और जनता के दर्शन का कार्यक्रम तय किया जाएगा। दीक्षित ने कहा कि अंतिम संस्कार कल हो सकता है।

गौरतलब है कि, डॉ मनमोहन सिंह का गुरुवार शाम को 92 वर्ष की आयु में आयु संबंधी बीमारियों के कारण दिल्ली के एम्स में देहांत हो गया। घर पर उन्हें अचानक बेहोशी आ गई जिसके बाद उन्हें दिल्ली के एम्स ले जाया गया। मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर, 1932 को अविभाजित भारत में हुआ था, जो आज पाकिस्तान है। अर्थशास्त्री होने के अलावा, मनमोहन सिंह ने 1982-1985 तक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में कार्य किया। वे 2004-2014 तक अपने कार्यकाल के साथ भारत के 13वें प्रधानमंत्री थे और जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले प्रधानमंत्री थे।

पीवी नरसिंह राव की सरकार में भारत के वित्त मंत्री के रूप में कार्य करते हुए, सिंह को 1991 में देश में आर्थिक उदारीकरण का श्रेय दिया जाता है। सुधारों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को विदेशी निवेशकों के लिए अधिक सुलभ बना दिया, जिससे एफडीआई में वृद्धि हुई और सरकारी नियंत्रण कम हो गया। इसने देश की आर्थिक वृद्धि में बहुत योगदान दिया।

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