द्रौपदी के सुखी वैवाहिक जीवन के सात सूत्र

महाभारत काल में वनवास में रहने के दौरान पांडवों की पत्नी द्रौपदी की मुलाकात कृष्ण की पत्नी सत्यभामा से हुई. जहाँ बातों ही बातों में सत्यभामा ने द्रौपदी से सहज पूछ लिया कि वह अपने पांच पतियों से कैसे खुद को एक समान रूप से जोड़कर रख पाती हैं. तब द्रौपदी ने सत्यभामा को सुखी वैवाहिक जीवन जीने के लिए कुछ सूत्र बताए जो आज भी प्रासंगिक है. इन नियमों का पालन करके स्त्री सुखी वैवाहिक जीवन जी सकती है.

द्रौपदी के सात सूत्र : द्रौपदी ने सत्यभामा को सुखी वैवाहिक जीवन के जो सात सूत्र बताए थे वे निम्न हैं -

1.पत्नी को कभी भी अपने पति को वश में करने की कोशिश नहीं करना चाहिए,इससे रिश्ता बिगड़ सकता है. कुछ स्त्रियां पति को वश में करने के लिए तंत्र-मंत्र, औषधि आदि का उपयोग करती है, ऐसा नहीं करना चहिए.

2. समझदार स्त्री को अपने परिवार के हर रिश्ते का ख्याल रखना चाहिए . हालाँकि वह अपने हर रिश्ते की जिम्मेदारीसंभालती है, परिवार के समस्त रिश्ते जरुरी होते हैं इसलिए सबका ध्यान रखना चाहिए.

3. सुखी वैवाहिक जीवन के लिए स्त्री को झगड़ालू चरित्र वाली स्त्रियों से हमेशा दूर ही रहना चाहिए. गलत आचरण वाली स्त्रियों से मित्रता या मेल-जोल से जीवन में परेशानियां बढ़ जाती है.

4. स्त्री को कभी भी ऐसी कोई बात नहीं कहनी चाहिए, जिससे किसी का अपमान होता हो , या किसी को आपकी बातों से ठेस पहुंचती हो, स्त्रियों को धैर्य रखना चाहिए.

5. स्त्री को किसी भी काम के लिए आलस नहीं करना चाहिए, जो भी काम हो, उसे तुरंत पूरा कर लेना चाहिए. ऐसा करने से पति और पत्नी के बीच प्रेम बना रहता है.

6. द्रोपदी ने सत्यभामा से कहा कि स्त्री को बार-बार दरवाज़े पर या खिड़की पर खड़े नहीं रहना चाहिए. ऐसा करने वाली स्त्रियों की छबि समाज में खराब होती है.

7. स्त्री को क्रोध पर नियंत्रण रखना चाहिए, क्रोध के कारण ही बड़ी-बड़ी परेशानियां पैदा हो जाती है. इसलिए क्रोध पर नियंत्रण रखें. इसके अलावा पराए लोगों से व्यर्थ की बात नहीं करनी चाहिए. यदि विवाहित स्त्री इन सात नियमों का पालन कर ले तो उसका वैवाहिक जीवन हमेशा सुखी रहेगा.

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