जीएन साईंबाबा समेत 5 को देशविरोधी गतिविधियों के मामले में आजीवन कारावास

नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जीएन सांईबाबा और उनके साथ ही अन्य 4 लोगों को देश के खिलाफ षडयंत्र रचने और माओवादी संगठनों के साथ मेलजोल होने का आरोपी माना गया है। ऐसे में आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा दी गई है। यह निर्णय महाराष्ट्र की गढ़चिरौली अदालत ने दिया है। मामले में विजय टिर्की को 10 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई गई है। दरअसल प्रो0 साईंबाबा और उनके संगियों ने प्रतिबंधित संगठन सीपीआई के साथ संबंध होने का आरोप लगाया गया था।

सांई बाबा उन विद्यार्थियों के गाईड थे जो पीएचडी करते थे। दरअसल जेएनयू स्काॅलर रितुपर्णा गोस्वामी को साईंबाबा ने भर्ती किया था। गौरतलब है कि साईंबाबा जेएनयू और डीयू के छात्र संघ के कामों में भागीदारी किया करते थे। मिली जानकारी के अनुसार सांईबाबा की गिरफ्तारी के ही साथ कंप्युटर हार्ड डिस्क, पैन ड्राईव आदि दस्तावेज मिले हैं।

गौरतलब है कि जीएन सांईबाबा को वर्ष 2014 में पकड़ा गया था। उन पर आरोप था कि वे देशविरोधी गतिविधियों में लिप्त थे। गौरतलब है कि वर्ष 2014 में प्रो. साईंबाबा को नागपुर की केंद्रीय जेल में रखा। मगर साईंबाबा ने जमानत की मांग की। मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने उनके आवेदन को रद्द कर दिया। इसके बाद अप्रैल वर्ष 2015 में उसे जमानत दे दी गई। उन्होंने अपने स्वास्थ्य की जानकारी दी थी। सवोच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार से इस मामले में सवाल किए थे और उन्हें जमानत न देने पर फटकारा भी था।

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