जयपुर शहर के परकोटा इलाके से बाहर जेएलएन मार्ग पर मोती डूंगरी पर के निचले भाग में गणेश का प्राचीन मंदिर है। हर बुधवार को यहां मोती डूंगरी गणेश का मेला लगता है और जेएलमार्ग पर दूर तक वाहनों की कतारें लग जाती हैं। मोती डूंगरी गणेशजी के प्रति यहां के लोगों में श्रद्धा है। जेएलमार्ग से एमडी रोड पर स्थित यह मंदिर लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। दूसरे प्रस्तर पर निर्मित मंदिर भवन साधारण नागर शैली में बना है। मंदिर के सामने कुछ सीढियां और तीन द्वार हैं। दो मंजिला भवन के बीच का जगमोहन ऊपर छत तक है तथा जगमोहन के चारों ओर दो मंजिला बरामदे हैं। माना जाता है कि नए वाहन की पूजा मोती डूंगरी गणेश मंदिर में की जाए तो वाहन शुभ होता है। लोगों की ऐसी ही आस्था जयपुर की पहचान बन चुकी है। यहां दाहिनी सूंड वाले गणेशजी की विशाल प्रतिमा है जिसपर सिंदूर का चोला चढ़ाकर भव्य श्रंगार किया जाता है। इतिहासकार बताते हैं कि यहां स्थापित गणेश प्रतिमा जयपुर नरेश माधोसिंह प्रथम की पटरानी के पीहर मावली से 1761 ई. में लाई गई थी। मावली में यह प्रतिमा गुजरात से लाई गई थी। उस समय यह पांच सौ वर्ष पुरानी थी। जयपुर के नगर सेठ पल्लीवाल यह मूर्ति लेकर आए थे और उन्हीं की देखरेख में मोती डूंगरी की तलहटी में गणेशजी का मंदिर बनवाया गया था।