इन 10 बातों का अंत बताते हैं रावण के दस सिर

हिंदू धर्म में दशहरे का त्यौहार बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. ऐसे में इस दिन का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत की खुशी पर मनाते हैं और आज भारत के हर कोने में दशरहे का उत्सव मनाया जा रहा हैं. कहा जाता है इस दिन प्रभु श्री राम ने रावण का अंत कर बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देते हैं. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि रावण के दस सिर किस बात के प्रतीक है. आइए जानते हैं.

पहले तो आपको बता दें कि दस सिर व बीस भुजाओं वाले रावण न केवल राक्षसों का राजा था बल्कि 6 दर्शन व 4 वेदों के ज्ञाता भी थे और वह अपने समय के सबसे विद्वान व्यक्ति थे. इसी के साथ रावण को लोग दशग्रीव, दशानन,दश्कंधन, दशानंद के नाम से भी जानते हैं और अपने विद्या व बुद्धि के कारण लोग रावण दहन से पहले रावण की पूजा कर बच्चों की अच्छी पढ़ाई की भी शुभकामनाएं करते हैं.

कहते हैं पुरानी कथाओं के अनुसार रावण के दस सिर के बारे में बहुत सी कहानियां प्रचलित हैं. इन्ही में से एक काहनी के मुताबिक रावण के दस सिर दस तरह की नकारात्मक प्रवृत्तियों जैसे की काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, घृणा,ईर्ष्या,द्वेष व भय का प्रतीक हैं जिनका रावण के साथ अंत हुआ था.

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