दशहरा मतलब विजय दशमी के पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है। प्रत्येक वर्ष शारदीय नवरात्रि के समापन के साथ ही दशमी तिथि पर ये पर्व मनाया जाता है। इस दिन प्रभु श्रीराम की आराधना होती है तथा दशानन के पुतले का दहन किया जाता है। किन्तु क्या आप जानते हैं भारत में ऐसे कई स्थान हैं, जहां रावण को जलाने की जगह उसकी वंदना की जाती है। यहां रावण की उपासना क्यों होती है इसका कारण भी आपको बताते हैं। यूपी के बिसरख गांव में रावण का मंदिर बना हुआ है तथा यहां पूरी भक्ति और आस्था के साथ लोग रावण की आराधना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि बिसरख गांव रावण का ननिहाल था। वही कहा जाता है कि मंदसौर का वास्तविक नाम दशपुर था तथा यह रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका था। ऐसे में मंदसौर रावण का ससुराल हुआ। इसलिए यहां दामाद के सम्मान की परंपरा की वजह से रावण के पुतले का दहन करने की जगह उसकी उपासना की जाती है। वही मध्य प्रदेश के रावनग्राम गांव में भी रावन को जलाया नहीं जाता है। यहां के लोग रावण को भगवान के तौर पर पूजते हैं। इसलिए इस गांव में दशहरे पर रावण की जलाने की जगह उसकी पूजा की जाती है। इस गांव में रावण की भव्य मूर्ति भी स्थापित है। साथ ही राजस्थान के जोधपुर में भी रावण का टेम्पल है। यहां के कुछ समाज विशेष के लोग रावण की वंदना करते हैं तथा स्वयं को रावण का वंशज मानते हैं। यही वजह है कि यहां लोग दशहरे के मौके पर रावण का दहन करने की जगह रावण की पूजा करते हैं। साथ ही आंध्रप्रदेश के काकिनाड में भी रावण का टेम्पल बना हुआ है। यहां आने वाले भक्त भगवान राम की शक्तियों को मानने से मना नहीं करते, किन्तु वे रावण को ही शक्ति सम्राट मानते हैं। इस टेम्पल में भगवान शिव के साथ रावण की भी उपासना की जाती है। कांगड़ा शहर के इस कस्बे में रावण की उपासना की जाती है। मान्यता है कि रावण ने यहां पर प्रभु शिव की तपस्या की थी, जिससे खुश होकर भगवान शिव ने उसे मोक्ष का आशीर्वाद दिया था। यहां के लोगों की ये भी मान्यता है कि यदि उन्होंने रावण का दहन किया तो उनकी मौत हो सकती है। इस डर की वजह से भी लोग रावण के दहन नहीं करते हैं बल्कि वंदना करते हैं। जानिए क्यों भैरव के बिना अधूरी है मां दुर्गा की पूजा? कैसे हुआ था इनका जन्म महाअष्टमी आज, कष्टों से मुक्ति पाने के लिए इस तरह करें महागौरी की पूजा आज इस विधि से करें माता के कालरात्रि रूप की उपासना