मुंबई : कहा जाता है कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, यह बात डिस्लेक्सिया जैसी गंभीर बीमारी को पराजित कर भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी तमिलनाडु के वी. नंदकुमार पर पूरी तरह मुफीद लगती है.पढ़ -लिखकर बड़ा आदमी बनने के जूनून से आज वी नंदकुमार आज इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में इनवेस्टीगेशन विंग के ज्वाइंट कमिश्नर हैं. बता दें कि वी नंदकुमार की कहानी बिलकुल फ़िल्मी लगती है , लेकिन है असली . जो शख्स बचपन में डिस्लेक्सिया जैसी गंभीर बीमारी के कारण किताब-कॉपी में लिखे शब्दों को ठीक से पहचान नहीं पाता था. इसलिए उसे स्कूल से भी निकाल दिया गया.घर की माली हालत ख़राब होने के कारण , मैकेनिक की शॉप पर काम किया , लॉटरी के टिकट तक बेचने पड़े. लेकिन इन सब परेशानियों के बावजूद उसने हार नहीं मानी और आज वह देश की प्रतिष्ठित सेवा आईआरएस (भारतीय राजस्व सेवा) में अधिकारी है. ईमानदार अधिकारी वी. नंदकुमार से देश के टैक्स चोरों में काफी खौफ है. उल्लेखनीय है कि स्कूल से निकाले जाने के बाद वी नंदकुमार ने प्राइवेट पढ़ाई शूरू कर दी. डिस्लेक्सिया से जूझ रहे नंदकुमार ने कड़ी मेहनत के बाद 12वीं 52 फीसदी अंकों से पास की. कॉलेज की पढाई के लिए डॉ. अंबेडकर आर्ट्स एंड साइंस कॉलेज में इंग्लिश लिटरेचर कोर्स लिया जबकि नंदकुमार इंग्लिश में बहुत कमजोर थे, लेकिन आखिर उनकी मेहनत रंग लाई और वे अच्छे नंबरों के साथ पास हुए . जीत के जूनून ने 1997 तक नंदकुमार ने डिस्लेक्सिया को भी हरा दिया और वे यूपीएससी की तैयारी में जुट गए . इस सिविल सर्विस परीक्षा में भी उन्हें सफलता मिल गई और वे आईआरएस भारतीय राजस्व सेवा ( आईआरएस)के लिए चुन लिए गए.इन दिनों वी. नंदकुमार चेन्नई में इनकम टेक्स विभाग में ज्वाइंट कमिश्नर हैं.यही नहीं वी नंदकुमार अक्सर मोटीवेशनल स्पीकर के तौर पर स्कूल-कॉलेजों में जाकर वे छात्रों को सिविल सेवा के लिए प्रेरणा देते रहते हैं. यह भी देखें CM शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ PM नरेंद्र मोदी को लिखा अधिकारी ने पत्र 30 जून तक के बिलों पर नहीं लगेगा GST