E-commerce कंपनियां अब सालाना fdi कंप्लायंस रिपोर्ट करेंगी दाखिल

सरकार ने देश में कारोबार कर रही विदेशी ई-कामर्स कंपनियों के लिए हर साल एफडीआइ कंप्लायंस रिपोर्ट दाखिल करना अनिवार्य बना दिया है। कंपनियों को यह रिपोर्ट हर वर्ष 30 सितंबर से पहले अपने ऑडिटरों के जरिए दाखिल करनी होगी जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे सरकार के नियमों का पालन कर रही हैं। बृहस्पतिवार को जारी एक अधिसूचना में कहा गया कि प्रत्येक वित्त वर्ष के लिए एफडीआइ कंप्लायंस की रिपोर्ट ई-कामर्स कंपनियों को सितंबर के अंत तक दाखिल करनी होगी।

वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि हर साल रिपोर्ट दाखिल होने से यह पता लगाना आसान होगा कि कंपनियां एफडीआइ नियमों का पालन कर रही हैं अथवा नहीं। हालांकि, ई-कामर्स कंपनियों से जुड़े लोगों का मानना है कि इससे उनकी कंप्लायंस लागत में वृद्धि हो जाएगी। बताया जा रहा है कि व्यापारियों के संगठन लगातार इस बात को लेकर चिंता व्यक्त करते रहे हैं कि ई-कामर्स कंपनियां एफडीआइ नियमों का उल्लंघन कर रही हैं। इसके चलते खुदरा कारोबारियों का व्यवसाय प्रभावित हो रहा है। कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने सरकार पर ई-कामर्स कंपनियों और अमेरिकी उद्योगों की इस बात को स्वीकार न करने का दबाव बनाया हुआ था कि वे एफडीआइ संबंधी नियमों में उन्हें किसी प्रकार की राहत न दें।

संगठन ने सरकार को सुझाव भी दिया था कि ई-कामर्स कंपनियों के लिए वित्त वर्ष समाप्त होने से पहले एफडीआइ कंप्लायंस का प्रमाणपत्र हासिल करने को अनिवार्य बनाया जाए। वर्तमान में देश में तीन बड़ी विदेशी ई-कामर्स कंपनियां अमेजन, फ्लिपकार्ट और क्लब फैक्टरी काम कर रही हैं। त्योहारी सीजन में ई-कामर्स कंपनियों की तरफ से दिये जाने वाले डिस्काउंट और छूट को लेकर भी सरकार को व्यापार संगठनों ने आपत्ति जतायी थी। उसके बाद वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने ई-कामर्स कंपनियों को चेतावनी भी दी थी कि यदि इस तरह के ऑफर्स पर रोक नहीं लगायी गई तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। गत 5 नवंबर को गोयल से साथ अमेजन इंडिया के प्रमुख अमित अग्रवाल की मुलाकात में भी यह मुद्दा चर्चा में आया था। सरकार ने पिछले साल दिसंबर में ही प्रेस नोट जारी कर मार्केटप्लेस ई-कामर्स कंपनियों को ऐसे वेंडर्स के प्रोडक्ट बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया था जिनमें कंपनियों की इक्विटी हिस्सेदारी है।

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