'हिंदुस्तान को कभी नहीं भूलेंगे..', भारत के सेवाभाव से भावुक हुए भूकंप पीड़ित तुर्की के लोग

अंकारा: तुर्की और सीरिया में 6 फरवरी (सोमवार) को आए विनाशकारी भूकंप के चलते अभी तक 28000 से अधिक लोगों के मारे जाने की जानकारी सामने आ रही है। कई इलाकों में अभी भी राहत और बचाव का कार्य जारी है। इस बीच भीषण भूकंप से प्रभावित लोगों की मदद के लिए विश्व के कई देशों ने हाथ बढ़ाया है। तुर्की और सीरिया की मदद के लिए हिंदुस्तान ने ‘ऑपरेशन दोस्त’ अभियान शुरू किया है। जहां भारतीय डॉक्टर्स और सैन्यकर्मी दिन-रात काम कर रहे हैं, और तुर्की के लोग भी उनका आभार व्यक्त कर रहे हैं।

 

रिपोर्ट के अनुसार, ट्रैफिक जाम, पानी से भरे अंडरपास, कंक्रीट और मलबे में तब्दील हो चुकी इमारतें और शून्य से नीचे के तापमान में बेघर हुए लोगों की मदद के लिए इंडियन आर्मी की 99-सदस्यीय चिकित्सा टीम 5 घंटे की ड्राइव के बाद दक्षिणी तुर्की के हाटे प्रांत के भूकंप प्रभावित शहर इस्केंडरुन (Iskenderun) पहुंची थी। भारत से 8 घंटे की लंबी उड़ान के बाद, आर्मी की 60 पैरा फील्ड अस्पताल इकाई मंगलवार को दो अलग-अलग बैचों में तुर्की में लडन हुई थी। जिसके बाद भारतीय टीम फ़ौरन ही इस्केंडरुन के लिए रवाना हो गई थी।

 

प्रशिक्षित पैराट्रूपर्स और सैनिकों की टीम के लिए सबसे बड़ी चुनौती पर अधिकारी ने कहा कि, 'मैं कहूंगा कि मौसम सबसे बड़ी चुनौती है- हमारे और वहां के लोगों, दोनों के लिए। तापमान माइनस 2 डिग्री सेल्सियस के लगभग था, साथ ही सर्द हवाओं के कारण ही और भी समस्या हुई। शुरुआत में बिजली की किल्लत ने इसे और भी बदतर बना दिया, हालांकि हमारे पास एक जनरेटर था।' भारतीय अधिकारी ने कहा कि हम अब बिजली की आपूर्ति पाने में सफल हो गए हैं और पैकेज्ड पानी सभी के लिए मौजूद है।

 

लेफ्टिनेंट कर्नल सिंह ने बताया कि स्थानीय आबादी की प्रतिक्रिया हमारे लिए काफी बड़ा बढ़ावा थी। उन्होंने बताया कि, 'एक युवक जिसने हमें काम करते हुए और लोगों की मदद करते हुए देखा, उसने मुझसे कहा कि वह हमेशा हिंदुस्तान को याद रखेगा। स्थानीय अस्पताल के एक और डॉक्टर ने सोचा कि उनके सभी मरीजों ने हमें क्यों चुना। यह एक मिश्रित अहसास था। हम शर्मिंदा भी थे और खुश भी। ऐसे शब्द हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देते रहते हैं।'

 

बता दें कि, तुर्की, पाकिस्तान का पुराना मित्र है और अक्सर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के खिलाफ बातें करता है, यहाँ तक कि कश्मीर मुद्दे पर भी तुर्की इस्लामी मुल्क होने के नाते पाकिस्तान का ही साथ देता है। इसके बाद भी, वसुधैव कुटुंबकम (पूरा विश्व एक परिवार है) का पालन करने वाला हिंदुस्तान भूकंप पीड़ित तुर्की को मदद भेजने वाला पहला देश रहा।   

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