क्रिसमस डे के अतिरिक्त ईस्टर को भी ईसाई धर्म का बड़ा त्यौहार माना जाता है। प्रत्येक वर्ष ईस्टर बसंत ऋतु में आता है। 21 मार्च के पश्चात् जब पहली बार चांद पूरा होता है, उसके पश्चात् आने वाले पहले रविवार को ये ईस्टर संडे का त्यौहार होता है। इस बार ईस्टर 4 अप्रैल 2021 को मनाया जाएगा। ईसाई धर्म की प्रथा के मुताबिक, ईसा मसीह को कई प्रकार की शारीरिक यातनाएं देकर सूली पर लटका दिया गया था। सूली पर लटकने से पहले भी ईसाह मसीह कह रहे थे, प्रभु इन्हें इनकी भूल के लिए क्षमा कर देना। इसके पश्चात् उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए थे। जिस दिन ये सब किया गया, उस दिन फ्राइडे का दिन था। जानिए इससे संबंधित विशेष बातें... ईस्टर संडे के दिन जिंदा हुए थे ईसाह मसीह:- कहा जाता है कि इसके पश्चात् ईसाह मसीह के शव को एक कब्र में रख दिया गया। प्रथा है कि इस घटना के तीसरे दिन रविवार को ईसाह मसीह जीवित हो गए थे। दोबारा जीवित होने के पश्चात् उन्होंने 40 दिनों तक अपने अनुयायियों को दर्शन दिए, इसके पश्चात् वे ईश्वर की शरण में चले गए। इस घटना के पश्चात् से फ्राइडे को गुड फ्राइडे के रूप में मनाया जाने लगा तथा इसके पश्चात् आने वाले संडे को ईस्टर संडे के रूप में मनाया गया। ईस्टर का पर्व ईस्टर संडे से आरम्भ होकर 40 दिनों तक चलता है। ऐसे सेलिब्रेट किया जाता है ईस्टर संडे:- ईस्टर संडे के दिन गिरजाघरों में लोग इकट्ठा होते हैं तथा यीशू की याद करते हैं। उनकी याद में चर्च में मोमबत्तियां जलाते हैं। यीशू के जिन्दा होने की खुशी में एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं। इसके अतिरिक्त बाइबल पढ़ते हैं। जानिए ईस्टर रविवार से संबंधित विशेष बातें:- 1. ईसाइयों के मध्य ईस्टर को खुशी का दिन माना जाता है। इसे खजूर इतवार भी बोला जाता है। 2. ईस्टर संडे व्यक्तियों में परिवर्तन का दिन है। कहा जाता है कि ईसाह मसीह के जिन्दा होने के पश्चात् उनको यातनाएं देने वाले लोगों को भी बेहद पश्चाताप हुआ था। 3. ईस्टर संडे के दिन असंख्य मोमबत्तियां जलाकर यीशु के भक्त उनके प्रति अपनी अटूट श्रद्धा तथा भरोसे को प्रकट करते हैं। कई व्यक्ति इस दिन चर्च के अतिरिक्त अपने घरों में भी मोमबत्तियां जलाते हैं। तेग गुरु बहादुर सिंह ने 14 वर्ष की आयु में अपने पिता के साथ मुगलों के विरुद्ध लड़ा था युद्ध आज है श्री गुरु अंगद देव जी की 517 वीं जयंती, जानिए सिखों के दूसरे गुरु के बारे में 5 दुर्लभ तथ्य आखिर क्यों बसौड़े के दिन खाया जाता है बासा भोजन? जानिए धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व