अधिकतार घरों में मूलत: सादी गेंहू रोटियां बनी हुई खाई जाती हैं, परंतु गेहूं की रोटी स्वादिष्ठ अधिक, पौष्टिक कम होती है. अगर गेहूं में यदि अन्य अनाज को मिला कर आटा पिसवाया जाए तो ऐसे आटे से बनी रोटी की पौष्टिकता बढ जाती है. इस प्रकार के आटे को मल्टीग्रेन आटा या कौबिनेशन फ्लोर कहा जाता है. मल्टीग्रेन आटे से बनी रोटी विभिन्न प्रकार के रोगों में भी बहुत फायदेमंद साबित होता है. 1-मल्टीग्रेन आटा का मतलब की अन्य आनज जैसे दालों को गेहूं क आटे के साथ मिलाकर उसे मल्टी ग्रेन आटा बना दिया जाता है और यह बाजार में मल्टी ग्रेन आटे के नाम से बिकता है. लेकिन अगर आप यह आटा खरीद रहे हैं तो पहले उसमें मिला आई जाने वाली सामग्री को अच्छी तरह से जाचं कर लें. 2-मल्टीग्रेन आटे में मक्का, चना, जौ, सोयाबीन आदि अनाज की मात्रा 500-500 ग्राम रखें. 3-मधुमेह के व्यक्ति के लिए 5 किलोग्राम गेहूं के आटे में डेढ किलोग्राम चना, 500 ग्राम जौ व मेथीदाना मिलाकर पिसवाएं,मेथी,ब्लडशुगर,को,नियंत्रित,करती,है. 4-पांच किलोग्राम गेहूं के आटे में प्रोटीन के मुख्य स्त्रोत 500 जौ, 500 ग्राम सोयाबीन, 1 किलोग्राम चना मिलाकर पिसवाएं गए आटे की चापाती खाने से बढती उम्र के बच्चों विकास के लिए बहुत फायदेमंद है. 5-मिक्स आटे से बनी यह रोटियां पौष्टिक सुबह का नाश्ता बनाती है जिसमें लोहातत्व, फायबर, प्रोटीन और विटामिन,बी 3 है. यह एक संपूर्ण पौष्टिक सुबह का नाश्ता है. एक्ने की समस्या में फायदेमंद है चर्वील की पत्तिया