आर्थिक रूप से पिछड़ों को मिलेगा 10 फीसद आरक्षण या लगेगी रोक ? सुप्रीम कोर्ट करेगी फैसला

नई दिल्ली: आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को 10 फीसदी आरक्षण का लाभ मिलेगा या इस पर रोक लगेगी? इस मामले पर सर्वोच्च न्यायालय में फिर से सुनवाई होने वाली है. प्रधान न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली 5 जजों की बेंच 9 मई को अपने फैसले को चुनौती देने वाली पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. बता दें कि, भारतीय संविधान में 103वां संशोधन कर केंद्र सरकार 2019 में EWS के लिए 10 फीसद आरक्षण का प्रावधान किया था. उस समय शीर्ष अदालत ने भी संशोधन की वैधता को बरकरार रखा था.

गौरतलब है कि, भारतीय संविधान का 103वां संशोधन सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग यानि EWS को 10 प्रतिशक आरक्षण देता है. गत वर्ष नवंबर में सर्वोच्च न्यायालय ने EWS के लिए 10 फीसदी आरक्षण को 3:2 के बहुमत से बरकरार रखा था. पांच में से 3 जजों ने इसके पक्ष में फैसला देते हुए कहा था कि यह संसोधन, कानून का उल्लंघन नहीं करता है.

बता दें कि संविधान के जिन अनुच्छेद 15 के खंड 6 और अनुच्छेद 16 में EWS कोटे का प्रावधान जोड़ा गया था, वह सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में EWS वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण प्रदान करता है. शीर्ष अदालत ने नवंबर 2022 में की गई सुनवाई के दौरान इस बात पर विचार किया था कि क्या केंद्र सरकार की तरफ से किए गए संशोधन से 50 फीसदी की सीमा का उल्लंघन हुआ था? हालांकि बाद में जस्टिस माहेश्वरी ने अपने फैसले में कहा कि EWS आरक्षण न तो बुनियादी ढांचे का और न ही समानता संहिता उल्लंघन करता है.

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