एक्जिमा रोग में त्वचा शुष्क हो जाती है और बार-बार खुजली करने का मन करता है क्योंकि त्वचा की ऊपरी सतह पर नमी की कमी हो जाती है.एक्जिमा के गंभीर मामलों में त्वचा के ग्रसित जगहों से में पस और रक्त का स्राव भी होने लगता है। यह रोग डर्माटाईटिस के नाम से भी जाना जाता है। यह किसी भी उम्र के पुरुष या महिलाओं को प्रभावित कर सकता है। र्यावरण और वातावरण में आए बदलावों के कारण भी कुछ लोगों को एक्जिमा की शिकायत होने लगी है। घरों में सफाई के लिए प्रयोग होने वाले पदार्थों का अधिक इस्तेमाल, घोल, डिटर्जेंट, तेल और अन्य सामान जो त्वचा के लिए हानिकारक हो सकते हैं एक्जिमा रोग में त्वचा पर छोटे-छोटे दाने निकलने लगते हैं। और फिर ये लाल रंग में बदलने लगते हैं और इनमें खुजली होती रहती है। और खुजलाने से जलन होती है फिर ये दाग के रूप में त्वचा में फैलने लगता है। यदि सारे शरीर में एक्जिमा होता है उससे रोगी को बुखार भी आने लगता है। एक चम्मच कपूर के साथ एक चम्मच चन्दन की लई मिलाकर एक्जिमा से ग्रसित जगह पर लगाने से भी बहुत फायदा होता है। शुद्ध हल्दी भी एक्जिमा की चिकित्सा में लाभ प्रदान करती है। इसे एक्जिमा के चकतों पर लगाया जा सकता है और दूध में मिलाकर भी पीया जा सकता है। गाजर और पालक के रस का मिश्रण पीने से भी एक्जिमा के ठीक होने में लाभ मिलता है। घर में लगे एलोविरा के पौधे की पत्ती को काट लें और उसमें से निकलने वाले जेल को खुजली वाली जगह पर लगा लें। इससे भी काफी आराम मिलता है. वजन कम करने में सहायक होता है बेर आँखों के दर्द को दूर करता है गाय का दूध कच्ची हल्दी करती है कैंसर से बचाव