शिमला: हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर की तलाई सेवा को-ऑपरेटिव असेंबली सोसाइटी में 33 करोड़ से अधिक की हेराफेरी की पड़ताल में एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट भी सम्मिलित हो गया है. प्रवर्तन निदेशालय ने केस में रजिस्ट्रार सहकारी सभाएं, डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन बिलासपुर तथा एसपी बिलासपुर से कांटेक्ट कर हेराफेरी से जुड़े दस्तावेज मांगे हैं. सूत्रों के अनुसार, अपराधियों ने घोटाले की राशि से करोड़ों की प्रॉपर्टी बना ली हैं. वही ऐसे में अब दस्तावेजों की स्टडी के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय आगे की इन्वेस्टिगेशन कर संपत्तियां जब्त करने की कार्रवाई कर सकती है. वही पुलिस ने मार्च 2019 में ऑडिटर की कम्प्लेन पर लगभग 33 करोड़ से अधिक की इस हेराफेरी में एफआईआर दायर की थी. सभा के सेक्रेटरी सहित तेरह व्यक्तियों को पुलिस ने हिरासत में लिया है. इन्वेस्टिगेशन के दौरान पता चला कि सभा ने नियमों को ताक पर रख कर करोड़ों रुपये के उधार अपने दायरे से बाहर के व्यक्तियों को वितरित कर दिया है. साथ ही स्थिति ये हो गई थी कि करीब 100 करोड़ से अधिक जमा पूंजी वाली सहकारी सभा का खजाना गलत तरीके से उधार देने की वजह से रिक्त हो गई. वही जब सभा के ही एक मेंबर ने आरटीआई लगाई, तो यह जानकरी मिली कि सभा में करीब 84 लाख रुपये का लोन सभा क्षेत्र में आने वाले मेंबर्स ने लिया, तथा 2008 में 82 लाख रुपये गवर्मेंट तथा डिपार्टमेंट की तरफ से माफ कर दिया गया था. वर्तमान सभा सेक्रेटरी तथा सभा ने इसकी किसी भी व्यक्ति को खबर नहीं लगने दी, तथा 82 लाख रुपये हड़प लिया. वही अब पुरे मामले की जांच की जा रही है. उत्तराखंड में थमा बारिश का सिलसिला, मध्यम बारिश के है आसार कोरोना संकट में चार गुना बढ़ी प्राणवायु की मांग, कीमत में हो रही भारी बढ़ोतरी बीते 2 दिनों में कोरोना ने तेलंगाना पर ढाया कहर