नई दिल्ली: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के साथ लगातार बढ़ती महंगाई से जनता काफी परेशान है. देश में खाद्य तेलों की कीमतों में भी लगातार वृद्धि देखने को मिल रही है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस महीने खाद्य तेलों की कीमतें बीते एक दशक के अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई हैं. सोमवार को खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने खाद्य तेलों के बढ़ते दाम को लेकर इसमें शामिल सभी पक्षों के साथ बैठक की है. बैठक में विभाग ने राज्य के साथ साथ व्यापारों से खाद्य तेलों के दाम में कमी लाने के लिए तमाम आवश्यक कदम उठाने के लिए कहा है. विभाग ने इस बैठक के बाद बयान भी जारी किया है. बयान के मुताबिक, "बीते कुछ महीनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेल की कीमत के मुकाबले भारत में इनकी कीमतों में कहीं अधिक वृद्धि दर्ज की गई है. इस पर केंद्र सरकार ने भी अपनी चिंता प्रकट की थी. जिसके बाद खाद्य तेल के व्यापार से सम्बंधित सभी पक्षों को इस बैठक को बुलाया गया था." भारत में खाद्य तेल का 60 फीसद से ज्यादा का आयात विदेशों से होता है इसलिए वैश्विक कीमतों के साथ इसको जोड़कर देखा जाता है. मंगलवार को मिले डाटा के मुताबिक, मई के माह में सरसों के तेल की औसत कीमत 164.44 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है. जो कि गत वर्ष में मई के महीने से 39 फीसद अधिक है. मई 2020 में सरसों के तेल की औसत कीमत 118.25 रुपये प्रति किलोग्राम थी. भारत के सभी घरों में अधिकतर खाना पकाने के लिए इस तेल का प्रयोग किया जाता है. बता दें कि मई 2010 में इसके दाम 63.05 रुपये प्रति किलोग्राम था. US के 50% लोगों को लग चुकी वैक्सीन, सिसोदिया बोले- क्या हमारा काम ताली बजाने से चल जाएगा ? ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ ड्यूटी पर पहुंचा बैंककर्मी, कहा- अधिकारी छुट्टी नहीं देते आरबीआई गवर्नर ने निजी बैंकों से किया ये आग्रह