भ्रष्टाचार...भ्रष्टाचार...भ्रष्टाचार... और कितने भ्रष्टाचार. हम थकते क्यों नहीं है भ्रष्टाचार को अंजाम देकर. या शायद मानवता का देश कहे जाने वाले भारत को इन सफेद कपड़े पहनने वाले लोगों ने इसकी परिभाषा बदलने का निर्णय कर ही लिया है. देश में हर दिन, हर घंटे, हर मिनट, सिस्टम और राजनीति की लापरवाही से न जाने कितनी ही जान जाती है. गुरुवार को हुआ मुंबई प्लेन क्रेश मामला भी कुछ इस भ्रष्टाचार का ही एक मामला है. बारिश के बाद दोपहर के कुछ ठंडक भरे मौसम में एक निर्माणकार्य के बेसमेंट में कुछ मजदुर अपनी सुखी रोटी और सब्जी का जायका ले रहे थे. अचानक 700 फिट ऊपर उड़ता हुआ एक सी90 चार्टेड एयरक्राफ्ट जुहू एयरपोर्ट पर उतरने ही वाला था कि अचानक उसका बैलेंस बिगड़ने लगा. शायद अंदर मामला इतना गंभीर था कि किसी को भी इसे संभालने का मौका नहीं मिल पाया न ही इस एयरक्राफ्ट ने कोई सिग्नल भेजा जिससे मदद की कुछ सम्भावना बनती. जलाता एयरक्राफ्ट धीरे-धीरे जमीन गिर गया, और राख हो गया. घटना के बाद विमान के दोनों पायलट, कैप्टन प्रदीपर राजपूत और कैप्टन मारिया जुबेरी के साथ ही मेनटेनंस इंजिनियर सुरभि गुप्ता और जूनियर तकनीशियन मनीष पांडे की इसमें मौत हो गई वहीं निचे अपनी रोजमर्रा की जिंदगी के कुछ काम करने वाला एक शख्स भी अपनी जान बचा नहीं पाया और, साधारण सी लापरवाही ने पांच लोगों की जान ले ली. आइए बताते है, कैसे लापरवाही... बताया जा रहा है कि यह प्लेन क्रेश होने से पहले करीब 9 साल तक ऐसे ही पड़ा रहा. 2014 के करीब इस एयरक्राफ्ट को उत्तर प्रदेश की सरकार ने इसे बेचने का प्लान बनाया. इस प्लेन के लिए उस समय यूपी की कैबिनेट में इस बात का फैसला किया गया था कि इसे मरम्मत कराने की जगह बेचना ही ठीक रहेगा. हालाँकि इस प्लेन के साथ 5 मौत लिखी हुई थी यही कारण था कि यह दूसरों के हाथों में चला गया. एयरक्राफ्ट में होने वाली कमियों क़ि वजह से यह किसी को भी रास नहीं आया. यूपी सरकार ने इसे पुणे की एक कम्पनी को बेच दिया था वहीं इसके बाद पुणे की कम्पनी ने इसे यू वाई एविएशन प्राइवेट लिमिटेड जो की मुंबई की कम्पनी है इसे बेच दिया. और अंत में सवालों के घेरे में कबाड़ के काम आने वाले इस प्लेन को नाकाम कोशिश के तहत उड़ाने का प्रयत्न किया. यह प्रयत्न पांच लोगों के घरों को उजाड़ कर जल गया और वो लोग अपने घरों में बैठकर टीवी पर तमाशा देख रहे है, जिनके कारण यह सब कुछ हुआ. आपने 2006 में आई एक फिल्म जो देशभक्ति पर आधारित थी जिसका नाम है 'रंग दे बसंती' काफी लोकप्रिय हुई इस फिल्म में आपने देखा ही होगा कि आर. माधवन सेना में एक पायलेट होते है वहीं उनकी मंगेतर सोहा-अली-खान होती है. एक प्लेन क्रेश में इस पायलट की जान चली जाती है और मामला भ्रष्टाचार के इर्द-गिर्द चला जाता है, और अंत में यह भ्रष्टाचार कुछ लोगों के विद्रोह का कारण बनता है, जिनकी मौत सरकारों की इन लापरवाही में हुई. किस्मत से इस प्लेन के क्रेशिंग के समय 35 मजदुर लंच करने के लिए मुख्य फ्लोर से बेसमेंट में गए हुए थे जिसके कारण यह हादसा हद से ज्यादा बड़ा होते-होते बच गया. हालाँकि चुनाव प्रचार में व्यस्त नेता अभी इस क्रेश को इतना गंभीरता से नहीं लेंगे. असल में सफेद कपडे पहनकर काले काम करने वाले इन नेताओं को देश की लोगों की मौत से ज्यादा चिंता वोट बैंक और चुनाव की है.