पटना: हालात हर चीज को सियासत से जोड़ रहे है. आज बाबा साहेब कि जयंती को भी यही रंग दिया जा रहा है. हाल ही में SCST एक्ट और आरक्षण के मुद्दे पर देश जल चूका है और अब मरहम के नाम पर सभी दल दलितों को रिझाने में लगे है और सोने पे सुहागा यह है कि मुद्दों की गर्मी के बीच ही बाबा साहेब की जयंती मौका बन कर आ गई है. 2019 लोकसभा चुनाव के लिए राजनीतिक पार्टियों ने अभी से ही दलित कार्ड खेलना शुरू कर दिया है. शनिवार को भीमराम राव अंबेडकर जयंती के दिन भी राजद और एनडीए के नेता अलग-अलग कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं. एक ओर जहां पटना के बापू सभागार में दलित सेना और लोजपा की ओर से अंबेडकर जयंती समारोह मनाया जाएगा वहीं आरजेडी भी ठीक बापू सभागार के बगल में स्थित श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में बाबा साहब अंबेडकर की जयंती मनाएगी. बापू सभागार में दलित सेना और लोजपा की ओर से आयोजित समारोह में खुद बिहार के सीएम नीतीश कुमार, रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा और बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी शिरकत करेंगे. लोजपा की ओर से आयोजित इस समारोह के कई मायने निकाले जा रहे हैं. एक ओर ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं 'पासवान' जाति को रिझाने के लिए नीतीश कुमार इस समारोह में कोई बड़ी घोषणा कर सकते हैं. वहीं दूसरी काफी दिनों के बाद एक साथ मंच शेयर कर रहे नीतीश, पासवान और कुशवाहा की नजदीकियों की बात भी सामने आ रही है. देश में आज हर जगह बाबा साहेब की जयंती मनाई जा रही है. मगर हर मंच पर उनके प्रति सम्मान से ज्यादा दलितों के हितेषी होने का स्वांग रच कर सियासी धरातल को मजबूत करने की होड़ ज्यादा नज़र आ रही है. मोदी का वादा, दलितों के साथ अन्याय नहीं होगा डॉ. आंबेडकर की कुछ उपलब्धियाँ क्यों त्यागा बाबा साहेब ने हिन्दू धर्म ?