आई ईद व दिल में नहीं कुछ हवा-ए-ईद ऐ काश मेरे पास तू आता बजाए ईद. आज यारों को मुबारक हो कि सुब्ह-ए-ईद है राग है मय है चमन है दिलरुबा है दीद है. आप इधर आए उधर दीन और ईमान गए ईद का चाँद नज़र आया तो रमज़ान गए. बादबाँ नाज़ से लहरा के चली बाद-ए-मुराद कारवाँ ईद मना क़ाफ़िला-सालार आया. ग़म के पीछो रास्त कहते हैं कि शादी होवे है हज़रत-ए-रमज़ां गए तशरीफ़ ले अब ईद है. है ईद का दिन आज तो लग जाओ गले से जाते हो कहाँ जान मिरी आ के मुक़ाबिल. ईद अब के भी गई यूँही किसी ने न कहा कि तिरे यार को हम तुझ से मिला देते हैं. ईद है क़त्ल मिरा अहल-ए-तमाशा के लिए सब गले मिलने लगे जब कि वो जल्लाद आया. ईद का दिन है गले आज तो मिल ले ज़ालिम रस्म-ए-दुनिया भी है मौक़ा भी है दस्तूर भी है. ईद को भी वो नहीं मिलते हैं मुझ से न मिलें इक बरस दिन की मुलाक़ात है ये भी न सही. ईद तू आ के मिरे जी को जलावे अफ़्सोस जिस के आने की ख़ुशी हो वो न आवे अफ़्सोस. जनाब के रुख़-ए-रौशन की दीद हो जाती तो हम सियाह-नसीबों की ईद हो जाती. कई फ़ाक़ों में ईद आई है आज तू हो तो जान हम-आग़ोश. डेंगू से हुई 6 की मौत भय्यूजी महाराज को भावपूर्ण श्रद्धांजलि सबसे बड़ी स्क्रीन वाला मोबाइल