नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए ट्रेन में किराया रियायत बहाल करने संबंधी याचिका शुक्रवार (28 अप्रैल) को खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि चूंकि यह नीतिगत मामला है, इसलिए कोर्ट द्वारा सरकार को निर्देश जारी करना सही नहीं होगा। जस्टिस एसके कौल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच एम के बालाकृष्णन द्वारा दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें महामारी के मद्देनजर बंद की गई रियायतों को बहाल करने का आग्रह किया गया। रिपोर्ट के अनुसार, याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में दलील देते हुए कहा था कि सरकार बुजुर्गों को रियायत देने के लिए बाध्य है। इस दलील को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि, संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत याचिका पर निर्देश जारी करना इस कोर्ट के लिए सही नहीं होगा। सरकार को वरिष्ठ नागरिकों की आवश्यकताओं और राजकोषीय नतीजों को ध्यान में रखते हुए इस मुद्दे पर निर्णय लेना है। इसलिए याचिका खारिज की जाती है। बता दें कि, केंद्र सरकार ने 2020 में कोरोना संक्रमण के प्रसार के दौरान आवाजाही को हतोत्साहित करने के लिए वरिष्ठ नागरिकों को ट्रेन में दी जाने वाली छूट बंद कर दी थीं। हाल में संसद की एक स्थायी समिति ने महामारी की शुरुआत से पहले वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली रियायतों को फिर से बहाल करने की अनुशंसा की थी। भारतीय रेलवे 60 वर्ष या उससे ज्यादा आयु के पुरुषों को किराए में 40 फीसद की छूट और 58 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को 50 फीसद की छूट देता था। 'जांच होने दीजिए, दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा..', महिला पहलवानों के आरोपों पर बोले ब्रजभूषण 'झूठ का पुलिंदा है फिल्म..', The Kerala Story के विरोध में उतरी कांग्रेस, की बैन लगाने की मांग 'आपका वोट कर्नाटक को PFI से बचाएगा..', चुनावी रैली में बोले अमित शाह, कांग्रेस पर साधा निशाना