नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान होते ही सियासी हलचल तेज हो गई है। भारत के चुनाव आयोग ने मंगलवार को बताया कि चुनाव 5 फरवरी को एक चरण में होंगे, जबकि मतगणना 8 फरवरी को की जाएगी। नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 17 जनवरी तय की गई है। इसके साथ ही राष्ट्रीय राजधानी में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने चुनाव आयोग की घोषणा का स्वागत किया और दिल्ली के मतदाताओं से "गुणवत्तापूर्ण सेवाएं देने वाली और भ्रष्टाचार मुक्त" सरकार चुनने की अपील की। नड्डा ने एक्स पर लिखा, "चुनाव लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव है। यह दिल्ली के विकास और सुशासन की दिशा में एक नई शुरुआत का अवसर है। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार दिल्ली के व्यापक विकास और 'विकसित दिल्ली' के सपने को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध है।" नड्डा ने आगे लिखा कि, ''मैं दिल्ली के लोगों से ऐसी सरकार चुनने का आग्रह करता हूं जो जीवन स्तर में सुधार, भ्रष्टाचार से निपटने, प्रदूषण को कम करने और रोजमर्रा की जिंदगी को आसान बनाने के लिए गुणवत्तापूर्ण सेवाएं प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करे।'' भाजपा नेता हरीश सचदेवा ने भी दिल्ली में बदलाव का आह्वान करते हुए कहा, "5 फरवरी बदलाव की तारीख होगी। दिल्ली की जनता 'आप-दा' से मुक्ति पाने के लिए वोट करेगी। 8 फरवरी को दिल्ली में भाजपा की डबल इंजन सरकार बनेगी।" चुनाव आयोग द्वारा जारी अंतिम मतदाता सूची के मुताबिक, 2025 के विधानसभा चुनावों के लिए दिल्ली में कुल 1,55,24,858 मतदाता पंजीकृत हैं। यह संख्या पिछले आंकड़ों की तुलना में 1.09% की वृद्धि को दर्शाती है। सियासी समीकरण की बात करें तो 2020 के विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 70 में से 62 सीटें जीती थीं, जबकि भाजपा को मात्र 8 सीटों पर संतोष करना पड़ा। कांग्रेस, जो कभी दिल्ली में लगातार 15 साल तक सत्ता में रही, पिछले दो चुनावों में एक भी सीट नहीं जीत पाई। भाजपा और आप दोनों अपने-अपने एजेंडे के साथ मैदान में हैं। भाजपा ने भ्रष्टाचार, प्रदूषण और आधारभूत सेवाओं में सुधार को अपना मुद्दा बनाया है, जबकि आम आदमी पार्टी अपने विकास कार्यों और कल्याणकारी योजनाओं के बूते चुनावी दांव खेल रही है। चुनावों की घोषणा के साथ ही दिल्ली में आदर्श आचार संहिता लागू हो चुकी है, जो चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक प्रभावी रहेगी। राजनीतिक पार्टियों ने प्रचार की तैयारियां तेज कर दी हैं, और आने वाले दिनों में सियासी बयानबाजी और तीखी होने की उम्मीद है। इस बार का चुनाव न केवल भाजपा और आप के लिए अहम है, बल्कि कांग्रेस के लिए भी यह पुनर्जीवित होने का मौका हो सकता है। अब देखना यह होगा कि 5 फरवरी को दिल्ली की जनता किसे सत्ता की कुर्सी सौंपती है। 'भाजपा ने 3 महीने में दो बार मुझे घर से बाहर निकाला..', केंद्र पर भड़की आतिशी 'कर्नाटक में हर ठेके पर 60% कमीशन खा रही कांग्रेस सरकार..', एचडी कुमारस्वामी का गंभीर आरोप भारतीय GDP के ताजा आंकड़े आए सामने, जानिए पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले कितनी बढ़ी..?