नई दिल्ली। 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में परिणाम सामने आने के बाद आम आदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी के शीर्षनेताओं ने ईवीएम की खराबी की बात कही। मुख्यतौर पर बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती ने ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाया था। इसके बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब चुनाव में ईवीएम में गड़बड़ी की बात कहते हुए जांच की मांग की बात कही थी और कहा था कि एमसीडी के चुनाव ईवीएम से नहीं होना चाहिए। इसी बीच दिल्ली कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय माकन ने भी एमसीडी चुनाव में ईवीएम से चुनाव न किए जाने को लेकर अपनी मांग की थी। मगर चुनाव आयोग ने इस मामले में बीएमसी को पत्र लिखा है। कथित तौर पर यह कहा जा रहा है कि बीएमसी को चुनाव आयोग ने जो पत्र लिखा है उसमें ईवीएम का बारीक अध्ययन बताया गया है। कहा गया है कि एमसीडी में चुनाव ईवीएम से ही हो सकते हैं। चुनाव आयोग ने जिस तरह की प्रमुख बात कही है उसमें यह कहा गया है कि इलेक्ट्राॅनिक वोटिंग मशीन में पांच मीटर केबल से अटैच दो यूनिट्स होती हैं। यह यूनिट बैलेटिंग यूनिट से निर्मित होती है। और इसकी कंट्रोल यूनिट पीठासीन अधिकारी या फिर मतदान अधिकारी के पास में रहती है। जब कंट्रोल करने वाला अधिकारी बैलेट बटन दबाता है तो फिर मतदाता अपने अनुसार वोट कर सकता है। ईवीएम में बैट्री चलित व्यवस्था होती है ऐसे में विद्युत सप्लाय न होने पर भी यह बैट्रीय से चल सकती है। इतना ही नहीं इसमें अधिकतम 64 प्रत्याशियों या अभ्यर्थियों के लिए उपयोग में लाई जा सकती है। यह बैलेटिंग यूनिट्स में विभाजित होती है और 16 प्रत्याशियों के लिए एक बैलेटिंग यूनिट काम करती है। ऐसे में 16 के अनुपात में 64 प्रत्याशियों तक बैलेटिंग यूनिट बढ़ाई जा सकती है। हालांकि प्रत्याशियों के 64 से ज़्यादा होने पर मतदान ईवीएम से नहीं करवाया जा सकता है। इसके लिए बैलेट पेपर का ही प्रयोग करना होगा। मगर ईवीएम एक ऐसा विकल्प है जिससे पारदर्शी प्रणाली से बहुत कम समय में मतदान करवाया जा सकता है। इसमें लागत भी बहुत कम आती है ऐसे में यह बहुत की सस्ता साधन है। वर्ष 1989 से 1990 के बीच लिए गए उपयोग के दौरान इसमें बैट्री पर ही साढ़े पांच हजार रूपए का व्यय किया गया था। जबकि बैलेट पेपर से चुनाव में प्रिंटिंग, रखरखाव, डिस्ट्रीब्यूशन, एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में अधिक व्यय करना पड़ता है। ईवीएम का परिवहन अधिक खर्चीला नहीं होता एक बार में बड़े पैमाने पर ईवीएम सुरक्षा के साथ इसके सेफ कवर में रखकर ले जाई जा सकती है। इसमें फीड किए गए मत या डाले गए मत इलेक्ट्राॅनिक तरह से सुरक्षित रहते हैं। ऐसे में ईवीएम खराब होने पर भी डाले गए मतों की संख्या को गिना जा सकता है। करीब इसका उपयोग 1989 से 1990 में प्रयोग के तौर पर हुआ था इसके बाद इसका उपयोग वर्ष 1998 में 16 विधानसभा क्षेत्र में किया गया था। इनमें मध्यप्रदेश, राजस्थान, दिल्ली के क्षेत्र शामिल थे। इसका निर्माण भारत इलेक्ट्राॅनिक्स लिमिटेड, बेंगलुरू व इलेक्ट्राॅनिक काॅर्पोरेशन आॅफ इंडिया हैदराबाद के सहयोग से हुआ है। गौरतलब है कि कथित तौर पर यह कहकर ईवीएम का विरोध किया गया था कि ईवीएम गुजरात में निर्मित है और पीएम मोदी और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह गुजरात के हैं ऐसे में उन्हें लाभ पहुंचाने का प्रयास हो रहा है मगर इसे नकार दिया गया। EVMमें हुई थी गड़बड़ी - मायावती केजरीवाल का आरोप - चुनाव आयोग को करना चाहिए ईवीएम की जांच ईवीएम से ही होंगे दिल्ली नगर निगम के चुनाव, केजरीवाल की मांग खारिज