लखनऊ: महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों में विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपने-अपने प्रचार और चुनावी गतिविधियों पर भारी खर्च किए। इस दौरान बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने खासा ध्यान खींचा, क्योंकि उसने समाजवादी पार्टी (सपा) से भी ज्यादा खर्च किया। महाराष्ट्र चुनावों के दौरान बीएसपी ने कुल 3.92 करोड़ रुपये खर्च किए। इसमें से 2.17 करोड़ रुपये अपने उम्मीदवारों के प्रचार पर और 1.75 करोड़ रुपये उनके क्रिमिनल रिकॉर्ड्स को सार्वजनिक करने में खर्च किए गए। प्रचार के दौरान बीएसपी सुप्रीमो मायावती के एयरक्राफ्ट और हेलिकॉप्टर के लिए 55.75 लाख रुपये खर्च किए गए। पार्टी ने चुनाव आयोग को सौंपी गई रिपोर्ट में अपने बैंक खातों का विवरण भी सार्वजनिक किया, जिसमें बताया गया कि बीएसपी के विभिन्न खातों में कुल 570 करोड़ रुपये जमा हैं। झारखंड विधानसभा चुनावों में बीएसपी ने 2.52 करोड़ रुपये खर्च किए। झारखंड में भी बीएसपी ने अपने कैंडिडेट्स के क्रिमिनल रिकॉर्ड्स को सार्वजनिक करने के लिए 93.71 लाख रुपये और मायावती के प्रचार के लिए एयरक्राफ्ट और हेलिकॉप्टर पर 1.23 करोड़ रुपये खर्च किए। वहीं, समाजवादी पार्टी ने महाराष्ट्र और झारखंड में अपने चुनाव प्रचार पर कुल 1.82 करोड़ रुपये खर्च किए। इसमें झारखंड में 57 लाख रुपये और महाराष्ट्र में 1.25 करोड़ रुपये खर्च शामिल हैं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने अपने खर्चों में सादगी बरती और झारखंड में अपने 18 उम्मीदवारों पर महज 9.95 लाख रुपये खर्च किए। इसमें हर उम्मीदवार पर औसतन 50-50 हजार रुपये और एक उम्मीदवार पर 95 हजार रुपये का खर्च हुआ। कांग्रेस पार्टी ने अपनी खर्च रिपोर्ट में केवल आंशिक विवरण दिया। महाराष्ट्र में पार्टी ने अपने प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले को प्रचार और अन्य गतिविधियों के लिए 40 लाख रुपये की राशि आवंटित की। हालांकि, झारखंड चुनावों पर खर्च का कोई ब्योरा कांग्रेस ने अपनी रिपोर्ट में नहीं दिया। यह चुनावी खर्च अलग-अलग पार्टियों की प्राथमिकताओं और रणनीतियों को दिखाता है। जहां कुछ पार्टियां भारी खर्च कर प्रचार में जुटीं, वहीं कुछ ने अपने खर्चों को सीमित रखा। इन आंकड़ों से यह भी स्पष्ट होता है कि चुनावी मैदान में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता कितनी महत्वपूर्ण है। छत्तीसगढ़ में दुखद हादसा, प्लांट की चिमनी गिरने से 25 से ज्यादा लोग दबे, राहत-बचाव कार्य जारी दुनियाभर में हो रही महाकुंभ की प्रतीक्षा, 82 देशों के जर्नलिस्ट पहुंचे भारत, पूरे विश्व में होगा टेलीकास्ट 'फातिमा नामक कोई मुस्लिम शिक्षिका नहीं थी, माफ़ करना, मैंने फर्जी कहानी गढ़ी..', दिलीप मंडल का बड़ा कबूलनामा