नई दिल्ली : लगातार खत्म होते पेट्रोल डीजल और कोयला को देखते हुए सरकार नित्य नए ऊर्जा के स्रोतों पर विचार कर रही है। शायद यही वजह है कि पर्यावरण संरक्षण के लिए ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत का उपयोग में देश तेजी से बढ़ने लगा है। सौर और पवन ऊर्जा के क्षेत्र में हाल के वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है साथ ही अक्षय ऊर्जा उत्पादन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी वजह से विकास से जुड़े कामों में तेजी लाने के चलते बिजली की मांग भी बढ़ी है। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि आने वाले वर्षों में पवन और अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता में विस्तार हो। 2018 अक्तूबर में पीक आवर में बिजली की मांग 180 गीगावाट तक पहुंच गई थी। बिजली मंत्रालय का कहना है कि यह अब तक की सबसे बड़ी मांग है। बढ़ेगी सौर ऊर्जा की माँग वही अगर बात की जाये तो कच्चा तेल, कोयला, प्राकृतिक गैस जैसे संसाधनों की होती कमी और भविष्य में कम और खत्म होने की संभावनाओं के बीच सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा जैसे गैर पारंपरिक साधन जो कभी खत्म नहीं हो सकते, इसलिए अब सरकार का पूरा ध्यान इस पर केंद्रित है। सरकार का दावा है कि अगले दो साल में देश में सौर ऊर्जा का उत्पादन बढ़कर 20 हजार मेगावाट से अधिक हो जाएगा। वहीं वर्ष 2035 तक देश में सौर ऊर्जा की मांग 7 गुना बढ़ने की संभावना भी जताई जा रही है। दवा से नहीं बल्कि वायलिन सुनने पर कोमा से बाहर आयी युवती करोड़ों की है ये मछली, जिसके लिए बढ़ रही मांग यह है छोटा सा गांव, जहां से छोटे छोटे लोग ही रहते हैं अनसुलझा है रहस्य