'भागकर शादी करना नई बात नहीं, रामायण काल में भी इसका जिक्र..', हाई कोर्ट की बड़ी टिप्पणी

अमृतसर: पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय में गुरुवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जगमोहन बंसल ने बड़ी टिप्पणी की है. एक युवती को घर से भगाकर शादी करने के मामले पर टिप्पणी करते हुए न्यायमूर्ति जगमोहन बंसल ने कहा कि भारतीय संस्कृति में शादी कोई समझौता या कॉन्ट्रैक्ट नहीं, बल्कि दो परिवारों का मिलन है। उन्होंने कहा कि भारत में अपनी इच्छा से शादी करना कोई नई बात नहीं है बल्कि यह इतिहास से जुड़ी हुईं बातें है. रामायण और महाभारत काल में भी इसका उल्लेख है.

न्यायमूर्ति जगमोहन बंसल ने आगे कहा कि रामायण और महाभारत काल में स्वयंवर भी स्वेच्छा से विवाह करने का सबसे बड़ा उदाहरण है. दरअसल, ये बातें न्यायाधीश बंसल ने मलोट के युवक द्वारा युवती को भगाकर विवाह करने के मामले में कही. युवती को भगाने के आरोप में युवक पर अपहरण की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था. वहीं, युवक ने अपने खिलाफ दर्ज किए गए मामलों को लेकर खारिज करने को लेकर पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी.  

पंजाब हरियाणा उच्च न्ययालय ने युवक की ओर से दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए उसके ऊपर दर्ज FIR को खारिज कर दिया है. उच्च न्यायालय की ओर से कहा गया है कि युवक-युवती दोनों बालिग है, ऐसे में किसी को भी उनकी निजी जिंदगी में दखल देने का अधिकार नहीं है. कोई कानून उन्हें अपनी मर्जी से जिंदगी जीने से नहीं रोक सकता. युवक के खिलाफ जनवरी 2019 युवती के पिता ने मलोट थाने में शिकायत दी थी. शिकायत में कहा गया था कि युवक उसकी बेटी को बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गया. मगर कुछ महीने बाद पता चला था कि कि आरोपी युवक ने उसकी बेटी के साथ विवाह कर लिया है. 

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