पटना: राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने आज शनिवार (29 जून) को आपातकाल (Emergency) के काले दिनों को याद करते हुए कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कई नेताओं को सलाखों के पीछे डाल दिया था, लेकिन उन्होंने कभी उनके साथ दुर्व्यवहार नहीं किया। एक्स पर साझा की गई एक पोस्ट में, लालू यादव ने उनके और पत्रकार नलिन वर्मा द्वारा लिखा गया एक लेख "द संघ साइलेंस इन 1975" साझा किया। लेख में उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा कि हालांकि 1975 देश के लोकतंत्र पर एक दाग है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि 2024 में विपक्ष का सम्मान कौन नहीं करता। लालू यादव ने कहा कि "मैं उस संचालन समिति का संयोजक था, जिसे जयप्रकाश नारायण ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल की ज्यादतियों के खिलाफ आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए गठित किया था। मैं 15 महीने से अधिक समय तक सुरक्षा रखरखाव अधिनियम (मीसा) के तहत जेल में था। मेरे सहकर्मी और मैं आज आपातकाल के बारे में बोलने वाले भाजपा के कई मंत्रियों को नहीं जानते थे। हमने मोदी, जे पी नड्डा और प्रधानमंत्री के कुछ अन्य मंत्रिमंडलीय सहयोगियों के बारे में नहीं सुना था जो आज हमें स्वतंत्रता के मूल्य पर व्याख्यान देते हैं।" उल्लेखनीय है कि, लालू यादव की बेटी उसी समय पैदा हुई थीं, जब वे मीसा एक्ट में कैद थे, तो तत्कालीन कांग्रेस सरकार के अत्याचारों को याद रखने के लिए लालू यादव ने अपनी बेटी का नाम ही मीसा रख दिया था। लालू यादव पहले 'जनता दल' में रहकर कांग्रेस का विरोध किया करते थे, लेकिन 1997 में जब क्या इंद्र कुमार गुजराल की सरकार में लालू यादव को चारा घोटाले में अरेस्ट किया गया, तो उन्होंने उसी साल जनता दल छोड़कर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) बना लिया और अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सीएम बनाकर जेल चले गए। लालू को गिरफ्तार करना इतना आसान भी नहीं था, उस समय बिहार पुलिस पर भी CBI का सहयोग ना करने के आरोप लगे, हज़ारों RJD कार्यकर्ता और समर्थक लालू के घर के बाहर इकठ्ठा हो गए, नौबत यहाँ तक आ गई थी कि CBI को लालू को अरेस्ट करने के लिए भारतीय सेना से भी मदद मांगनी पड़ी। आख़िरकार उन्हें अरेस्ट किया गया और वे चारा घोटालों के कई मामलों में दोषी साबित हुए, कांग्रेस विरोध से अपनी राजनीति शुरू करने वाले लालू आज उसी पार्टी के साथ गठबंधन में हैं और INDIA ब्लॉक का अहम हिस्सा हैं। कांग्रेस की मनमोहन सरकार में रेल मंत्री रहने के दौरान भी उनपर रेलवे में नौकरी देने के बदले लोगों से जमीन लेने का आरोप है, जिसमे वे परिवार सहित जमानत पर हैं। अब लालू ने इमरजेंसी के काल को याद करते हुए लिखा है कि, "इंदिरा गांधी ने हममें से कई लोगों को सलाखों के पीछे डाल दिया, लेकिन उन्होंने कभी हमारे साथ दुर्व्यवहार नहीं किया। न तो उन्होंने और न ही उनके मंत्रियों ने हमें "राष्ट्र-विरोधी" या "देशद्रोही" कहा। उन्होंने कभी भी हमारे संविधान के निर्माता बाबासाहेब अंबेडकर की स्मृति को अपवित्र करने की अनुमति नहीं दी। 1975 हमारे संविधान पर एक दाग है।'' लालू ने कहा कि, "हमारे लोकतंत्र में सबसे बड़ी चुनौती विपक्ष की है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि 2024 में विपक्ष का कौन सम्मान नहीं करता।" बता दें कि, 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 21 महीने का आपातकाल लगाया था। क्योंकि, इलाहबाद हाई कोर्ट ने उन्हें चुनाव में गड़बड़ी करने का दोषी पाते हुए उनका चुनाव रद्द कर दिया था और इंदिरा गांधी को PM पद से इस्तीफा देना था। लेकिन उन्होंने इस्तीफा ना देकर इमरजेंसी लगाने का विकल्प चुना, इस दौरान हज़ारों विरोधियों को जेल में डाल दिया गया, आम जनता के मौलिक अधिकारों को कुचल दिया गया, प्रेस दफ्तरों की बिजली काट दी गई, ताकि अख़बार में सरकार विरोधी कोई खबर ना छपे। इंदिरा के बेटे संजय गांधी के नेतृत्व में देशभर में नसबंदी का अभियान चला, बताया जाता है कि इस दौरान लोगों को जबरन बसों से उतारकर, लालच देकर, या अन्य तरीकों से 60 लाख से अधिक लोगों की नसबंदी कर दी गई थी। इससे पहले 1962 और दूसरा 1971 में भारत में इमरजेंसी लगी थी, लेकिन उस समय युद्ध चल रहा था और इसका जनता तथा नेताओं पर अधिक प्रभाव भी नहीं पड़ा था। लापरवाही पर एक्शन ! अयोध्या में घटिया सड़क निर्माण करने पर 6 इंजीनियर निलंबित, योगी सरकार ने मांगी रिपोर्ट संजय झा को कार्यकरी अध्यक्ष पद, बिहार को विशेष दर्जा..! JDU की अहम बैठक में क्या फैसले हुए ? भारतवासियों के लिए भारतीय 'न्याय' संहिता ! 1 जुलाई से देशभर में लागू हो जाएगा नया कानून, ख़त्म होगा IPC