पूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद का अंत! DNLA के साथ सरकार ने किया शांति समझौता

गुवाहाटी: केंद्र और असम सरकार और पूर्वोत्तर राज्य के दिमासा विद्रोही संगठन के प्रतिनिधियों ने गुरुवार (27 अप्रैल) को नई दिल्ली में एक त्रिपक्षीय शांति समझौते पर दस्तखत किए. इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे. इसमें दिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी-दिमासा पीपुल्स सुप्रीम काउंसिल (DNLA/DPSC) के साथ समझौते पर दस्तखत हुए.

इस दौरान समझौते पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि बात है कि ये खुशी की बात है कि DNLA/DPSC ने हिंसा से दूर रहने का निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि आज इन समूहों के 168 कार्यकर्ता मुख्यधारा से जुड़ गए हैं. यह पीएम नरेंद्र मोदी के शांतिपूर्ण और समृद्ध पूर्वोत्तर के दृष्टिकोण में एक बड़ा कदम है. गृह मंत्री ने कहा कि असम सरकार एक दिमासा कल्याण परिषद की स्थापना करेगी और इनके त्वरित और केंद्रित विकास को सुनिश्चित करेगी. 

अमित शाह ने आगे कहा कि समझौते के तहत, राजनीतिक, आर्थिक और शैक्षिक आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सामाजिक, सांस्कृतिक और भाषाई पहचान की रक्षा, संरक्षण और प्रोत्साहन देने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे. गृह मंत्री ने कहा कि यह समझौता उत्तरी कछार हिल्स स्वायत्त परिषद (NCHC) से लगे अतिरिक्त गांवों को शामिल करने की मांग की जांच करने के लिए संविधान की छठी अनुसूची के अनुच्छेद 14 के तहत एक आयोग की नियुक्ति का भी प्रावधान करता है.

इस समझौते में DNLA के सरेंडर करने वाले सशस्त्र कैडरों के पुनर्वास के लिए केंद्र और असम सरकार द्वारा उठाए जाने वाले कदमों का उल्लेख किया गया है. NCHAC के साथ ही सूबे के अन्य हिस्सों में रहने वाले दिमासा लोगों के सर्वांगीण विकास के लिए केंद्र और असम सरकार पांच वर्ष की अवधि में 500 करोड़ रुपये का एक विशेष विकास पैकेज खर्च करेगी. 

वहीं, असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि इस समझौते से दिमासा लोगों और असम के दीमा हसाओ और कार्बी आंगलोंग जिलों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में शांति कायम होगी. DNLA कैडरों ने इस समझौते से पहले 43 हथियार जमा किए और मुख्यधारा में लौटने का संकल्प लिया. अब से आधिकारिक रूप से असम में कोई आदिवासी विद्रोही समूह नहीं बचेगा.

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