नई दिल्ली: मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों को लेकर विवादित पत्रकार राणा अय्यूब के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गाजियाबाद स्थित अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी है। ED का कहना है कि राणा अय्यूब ने आम जनता को धोखा देने के इरादे से धन एकत्रित करने के लिए अभियान चलाया था। जांच एजेंसी ने उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से वर्ष 2021 में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग की छानबीन शुरू की थी। राणा अय्यूब पर आरोप हैं कि उन्होंने 'केटो' प्लेटफॉर्म के जरिए चैरिटी के नाम पर धन जुटाने के लिए अभियान चलाए थे, जिसके माध्यम से आम लोगों को धोखा दिया गया है। जांच अधिकारियों के मुताबिक, राणा ने 3 अभियान चलाए थे। इनमें अप्रैल-मई 2020 में किसानों और झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों के लिए फंड, जून-सितंबर 2020 में असम, बिहार और महाराष्ट्र में राहत कार्य और मई से जून 2021 के बीच भारत में कोविड प्रभावित लोगों के लिए फंड शामिल है। रिपोर्ट के अनुसार, अय्यूब को तीन अभियानों के माध्यम से 2.69 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे। इनमें से 80.49 लाख रुपये विदेशी मुद्रा थी। फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेग्युलेशन्स एक्ट यानी FCRA के कथित रूप से उल्लंघन के बाद आयकर विभाग ने राणा अय्यूब के खिलाफ तफ्तीश शुरू की थी, जिसके बाद उन्होंने विदेशी अनुदान को लौटा दिया था। ED के मुताबिक, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से एकत्रित किए गए फंड अय्यूब के पिता और बहन के खाते में आए थे, जिन्हें बाद में उन्होंने अपने पर्सनल बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर लिया। इसके बाद उन्होंने फंड का उपयोग कर खुद के लिए 50 लाख रुपये की FD बनाई और अन्य 50 लाख रुपये नए अकाउंट में भेजे। राणा अय्यूब ने ढाई करोड़ में से महज 29 लाख रुपये ही राहत कार्य में खर्च किए गए थे। ED का यह भी कहना है कि राहत कार्य के लिए ज्यादा खर्च दिखाने के लिए फर्जी बिल भी जमा किए गए थे। जांच एजेंसी का कहना है कि छानबीन में यह पता चला है कि राणा अय्यूब ने सिर्फ लोगों को धोखा देने के मकसद से फंड जुटाने के अभियान शुरू किए थे। साथ ही एजेंसी ने यह भी कहा कि अय्यूब ने धन को बेदाग दिखाने का प्रयास किया। वसुंधरा राजे के 'शक्ति प्रदर्शन' ने बढ़ाई भाजपा की मुश्किलें, बीकानेर के बाद चुरू में दिखाई ताकत दिल्ली से मुंबई के बीच जल्द दौड़ेगी वंदे भारत की पार्सल ट्रेन, तैयारी शुरू गुजरात AAP अध्यक्ष गोपाल इटालिया गिरफ्तार, पीएम मोदी को कहा था 'नीच'