कौशांबी: कहा जाता है अगर कुछ पूरी लगन से किया जाए तो सफलता जरूर मिलती है लेकिन कभी हिम्मत नहीं हारना चाहिए. ऐसी ही कुछ कहानी है उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले की. यहाँ रहने वाले प्रखर प्रताप सिंह किसान परिवार से जुड़े हुए हैं। प्रखर के पिता खेती करते हैं और प्रखर ने साल 2014 में सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की है. पढ़ाई पूरी करने के बाद प्रखर ने करीब 4 साल तक अलग-अलग कंपनियों में काम किया। वही इसके बाद पारिवारिक कारणों से वह वापस अपने गांव लौट आए। यहाँ साल 2019 में उन्होंने मछली पालन करना शुरू किया और अब वह अपने इस काम से सालाना 16 लाख रुपए का बिजनेस कर रहे हैं। जी हाँ, सुनकर आपको हैरानी होगी लेकिन यह सच है. अब वह यूपी, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार जैसे राज्यों में मार्केटिंग कर रहे हैं और उन्होंने 100 किसानों को रोजगार भी दिया है। प्रखर का कहना है कि उनके पास खेती की जमीन भरपूर है और वह काफी समय से खेती करते आ रहे हैं। लेकिन पारंपरिक खेती में आमदनी ज्यादा नहीं हो रही थी। इसके चलते प्रखर के न चाहने के बाद भी पापा ने उन्हें इंजीनियरिंग करवाई। ताकि वह अच्छी कमाई कर सके। प्रखर का कहना है कि, ''साल 2014 में इंजीनियरिंग के बाद मुझे नौकरी के लिए काफी स्ट्रगल करना पड़ा। तब वैकेंसी का मुझे पता नहीं चलता था इसलिए नोयडा में कई कंपनियों में गया, कहीं गेट से ही भगा दिया गया तो कहीं सिलेक्शन ही नहीं हुआ। कुछ महीने इसी तरह दौड़-धूप के बाद एक कंपनी में काम करने का मौका मिला।'' आगे उन्होंने बताया, ''साल 2018 तक मैंने यूपी, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में अलग-अलग कंपनियों के लिए काम किया। मेरा मन तो नौकरी में नहीं लग रहा था, लेकिन घर की जिम्मेदारियों और पापा की वजह से काम कर रहा था। ओडिशा और पश्चिम बंगाल मछली पालन के लिए प्रसिद्ध है। यहां साइट पर काम करने के दौरान मैं अक्सर मछली पालने वालों से मिलता था। यहाँ मैं उनके काम को देखता था।'' आगे प्रखर ने बताया इससे धीरे-धीरे उनके मन में भी मछली पालन का ख्याल आने लगा। उसके बाद वह मन में ही मछली पालन के बारे में सोचने भी लगे। इस बारे में उन्होंने अपने पापा को भी बताया लेकिन उन्होंने प्रखर को डांट दिया और इस काम से साफ़ मना कर दिया। प्रखर का कहना है, 'इंजीनियर होकर मैं मछली पालन करूं, ये बात पापा को पसंद नहीं थी। इसलिए मेरा प्लान भी होल्ड हो गया, लेकिन इसी बीच गांव में कुछ सरकारी अधिकारी आए और पापा को मछली पालन के बारे में बताए। उन्होंने सरकारी योजनाओं की भी जानकारी दी। इसके बाद पापा ने मुझे फोन कर बताया कि ऐसी-ऐसी बात है, क्या करूं? वे कहते हैं कि मैं तो पहले से प्लान कर ही रहा था। मैंने पापा से कह दिया कि ठीक है आप तालाब बनवा लो। तालाब तो बन गया। इसमें हमारा अच्छा खासा पैसा भी लगा, लेकिन शुरुआत के दो साल कुछ काम नहीं हुआ। पापा ने मछली पालन किया लेकिन जानकारी नहीं होने की वजह से नुकसान हो गया। गांव वालों ने मजाक भी उड़ाया कि खेती की जमीन को तालाब बनाकर बेकार कर दिया।'' प्रखर कहते हैं वह खुद गांव आकर काम करना चाहते थे, लेकिन उनके पापा नहीं मान रहे थे। इसी बीच उनकी बहन की तबीयत खराब हो गई और कुछ दिनों बाद उनकी डेथ भी हो गई। यह सब होने के बाद प्रखर नौकरी छोड़कर गांव लौट आए और फिर उन्होंने खुद मछली पालन करना शुरू किया। अब प्रखर बहुत अच्छी कमाई कर रहे हैं. इस समय उनके अपने दो तालाब है जहाँ 6 तरह की मछलियों का वह पालन करते हैं। हैंडपंप पर पानी पी रहा था युवक, हुआ कुछ ऐसा कि चली गई जान भारत में वैक्सीन कवरेज 32.85 करोड़ के हुआ पार यहाँ वैक्सीन लगवाने वालों को मिल रहा साइकिल, पंखा, घड़ी