भारत के महान इंजीनियर रहे एम विश्वेश्वरय्या के जन्मदिवस को प्रति वर्ष इंजीनियर्स डे के रूप में मनाया जाता है। इंजीनियरिंग के क्षेत्र में उनका अहम योगदान था। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एम विश्वेश्वरय्या को उनके अमूल्य योगदान के लिए साल 1955 में भारत के सबसे ऊंचे सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। अपनी संघर्ष और मेहनत से आज उन्होंने देश को एक अलग स्थान पर खड़ा कर दिया है। देश में स्थित नदियों के बांध, पुल और पीने के पाने की योजना के पीछे उनका दिमाग रहा है। महान विश्वेश्वरय्या को देश दक्षिणी बंगलुरु में मौजूद जयानगर के डिजाइन और उसकी सफलता के रूप में याद करता है। बता दें कि एशिया के सर्वश्रेष्ठ प्लान्ड लेयआउट्स में जयानगर का भी नाम है और इसे विश्वेश्वरय्या ने ही डिजाइन किया था। भारतीय इंजीनियर्स की स्थिति आज के समय में भारत आईटी के क्षेत्र में पूरी दुनिया को आईना दिखा रहा है और भारत में आईटी इंजीनियर्स की संख्या भी बहुत अधिक है। हर साल भारत में 20 लाख इंजीनियर्स तैयार होते हैं। इनमें कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स, सिविल और मैकेनिकल सभी क्षेत्रों के इंजीनियर्स शामिल है। हालांकि इंजीनियर्स के लिए बेरोजगारी की समस्या एक बड़ी समस्या होती है। एक रिपोर्ट की माने तो, भारत में लगभग आठ लाख ऐसे छात्र जो कि तकनीकी शिक्षा संस्थानों में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते हैं और इनमें से 60 प्रतिशत को नौकरी नहीं मिल पाती है। 2016-17 के सीजन में 66 प्रतिशत आईआईटी स्नातकों को कैंपस प्लेसमेंट नहीं मिल पाया था, जबकि इससे पूर्व साल 2015 में 79 प्रतिशत छात्रों के साथ यह स्थिति उतपन हुई थी। 2014-15 में भी हालत यहीं थे और 78 प्रतिशत छात्र नौकरी से वंचित रहे थे। बता दें कि बढ़ते आधुनिक युग में न केवल इंजीनियरिंग क्षेत्र में बल्कि हर क्षेत्र में प्रतियोगिता काफी तेज हो गई है। हर क्षेत्र में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है। कर्नाटक के इस जिले में लॉकडाउन लगाने की गई मांग, सामने आई यह वजह बेंगलूरु : कोरोना से बचने की तैयारी पर नेता प्रतिपक्ष सिद्धारमैया ने प्रदेश सरकार पर कसा तंज हिंदी दिवस : आज के समय में क्या है 'हिंदी दिवस' की आवश्यकता ?