अजमेर: बांग्लादेश से भारत में अवैध रूप से दाखिल होने का सिलसिला जारी है। बांग्लादेशी लोग महज 15 हजार रुपए देकर भारत में घुस जाते हैं और फिर फर्जी कागज़ातों के सहारे पहचान बदलकर यहीं अपना डेरा डाल लेते हैं और उन्हें अपने समुदाय द्वारा काम-धंधा भी मुहैया करा दिया जाता हैं। इनमे से कई गैर कानूनी कार्यों में भी लिप्त होते हैं, जो भारत में अपराध करने के बाद वापस बांग्लादेश भाग जाते हैं, कई भारत के अवैध वोटर भी बन जाते हैं । हालाँकि, अवैध बांग्लादेशियों के खिलाफ सरकार निरंतर सख्त अभियान चला रही है। ऐसे ही एक मामले में राजस्थान के अजमेर से पुलिस ने एक बांग्लादेशी भाई-बहन को अरेस्ट किया है। रिपोर्ट के अनुसार, ये दोनों भाई-बहन अजमेर के दरगाह इलाके में फर्जी दस्तावेज़ों के साथ किराए पर रह रहे थे। ये दोनों दूसरी दफा भारत में घुसे थे। इनके पास से फर्जी आधार कार्ड बरामद हुआ है। जिसमे दोनों को पश्चिम बंगाल के 24 परगना इलाके का रहने वाला बताया गया है। दोनों लगभग 2 महीने से अजमेर में रहकर कपड़ों का कारोबार भी करने लगे थे। CID ने संदेह के आधार पर इन्हें अरेस्ट किया। युवती महमूदा अख्तर पहले दो बार वीजा लेकर भारत आई थी। उस दौरान उसने हैदराबाद, कलकत्ता, अजमेर समेत भारत के अलग-अलग स्थानों पर घूम-घूमकर कई तरह का काम किया था। हालाँकि, जब कोरोना फैला तो वह वापस बांग्लादेश चली गई थी। महमूदा ने पुलिस को बताया कि इस बार वीजा नहीं मिला, तो वो एजेंटों की मदद से अवैध रूप से भारत में दाखिल हो गई। रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान पुलिस द्वारा पकडे गए बांग्लादेशी भाई-बहन के नाम नाहिद हुसैन (21) और महमूदा अख्तर (30) हैं। ये बांग्लादेश के मुंशीगंज जिले के निवासी हैं। बांग्लादेश की राजधानी ढाका से सटे मुंशीगंज जिले में कामकाज न होने के कारण ये दोनों भाई-बहन भारत आ गए थे, वो दो महीने से अजमेर में रहकर कपड़े का धंधा करने लगे थे। पुलिस से पूछताछ में उन्होंने कबूला है कि महज 15 हजार रुपए में बांग्लादेश के लोगों को आराम से भारत में प्रवेश मिल जाता है। उन्होंने बताया है कि सीमा पर भारत और बांग्लादेश के लोग मिले हुए होते हैं। बॉर्डर इलाके में कई दलाल एक्टिव हैं, जो रुपए लेकर बॉर्डर पार कराते हैं। बांग्लादेशी घुसपैठियों ने पुलिस के सामने कबूला है कि उन्हें बाड़ के नीचे से प्रवेश मिल जाता है। ऐसा किसी एजेंट की मदद से ही किया जाता है। भारत में आने के बाद वो फर्जी दस्तावेज़ और पहचान पत्रों के दम पर यहाँ रहने लगते हैं और वोट भी डालने लगते हैं। दोनों ने कहा कि लॉकडाउन से पहले भी वे भारत में ही थे। अब वो दूसरी बार भारत आए हैं। दोनों भाई-बहन अजमेर के नाला बाजार में किराए पर रूम लेकर रह रहे थे। दोनों ने अपना नाम भी बदल लिया था। इस तरह सुरक्षा एजेंसियों की आँखों में धूल झोंक कर दोनों भाई-बहन अजमेर में रहकर कारोबार कर रहे थे। हालाँकि, उनकी पोल खुल गई और पुलिस ने उन्हें अरेस्ट कर लिया। उन्हें अलवर स्थित डिटेंशन सेंटर पर भेज दिया है। उल्लेखनीय है कि अजमेर के भाजपा नेताओं और पदाधिकारियों ने कई बार जिला पुलिस और इंटेलिजेंस को दरगाह के साथ ही अजमेर के विभिन्न क्षेत्रों में बांग्लादेशियों के अवैध रूप से रहने की शिकायत दी थी। हालाँकि, पहले कांग्रेस सरकार की तुष्टिकरण की नीतियों की वजह से इन पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई थी। उस समय इसे अल्पसंख्यकों पर हमला बताया जाता था और इससे घुसपैठिए बच जाते थे। अब सरकार बदलते ही कार्रवाई तेज हो गई है। माना जाता है कि राजस्थान के अजमेर में बड़ी संख्या में अवैध बांग्लादेशी रहते है। पिछले कई सालों में यहाँ से कई बांग्लादेशी घुसपैठिए पकड़ाते रहे हैं। इस समस्या के मद्देनज़र राजस्थान सरकार ने पुलिस उपाधीक्षक गौरी शंकर को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। उन पर बांग्लादेशियों को योजनाबद्ध तरीके से पकड़ने का काम सौंपा गया है। कर्नाटक में हाथ से मैला ढोने के मामले पर सीएम सिद्धारमैया ने दिया सख्त आदेश 'सबरीमाला ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट प्रोजेक्ट के लिए केंद्र सरकार ने दी मंजूरी..', केरल विधानसभा में सीएम विजयन ने दी जानकारी दिल्ली वक्फ बोर्ड में हेराफेरी ! AAP विधायक अमानतुल्लाह खान को राहत देने से हाई कोर्ट का इंकार