नई दिल्ली: 1971 में पाकिस्तान की क्रूर सेना के अत्याचार से बचकर भारत आए निरंजन मंडल को आखिरकार 53 साल बाद भारतीय नागरिकता मिल गई है। यह सब संभव हो सका मोदी सरकार के नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के कारण, जिसे देशभर के विपक्षी दलों ने संविधान-विरोधी और मुसलमान-विरोधी करार दिया था। लेकिन यह कानून इस्लामी कट्टरपंथ के शिकार अल्पसंख्यकों के लिए जीवनदान साबित हो रहा है। आज बांग्लादेश जैसे देशों में खुलेआम हिंदुओं (जिन्हें 'काफिर' कहा जाता है) को मारने के ऐलान किए जा रहे हैं। जो नेता यह दावा करते थे कि पड़ोसी देशों में हिंदुओं पर कोई अत्याचार नहीं होता, उन्हें अब वहां का दौरा करना चाहिए और सच्चाई अपनी आंखों से देखनी चाहिए। निरंजन मंडल अब 74 साल के हैं, वे 1971 में अपनी मां के साथ बांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) से जान बचाकर भागे थे। उनका परिवार फरीदपुर मंडल में रहता था, लेकिन पाकिस्तानी सेना द्वारा हिंदुओं और बंगालियों पर किए जा रहे अत्याचारों के कारण उन्हें अपना घर और सबकुछ छोड़ना पड़ा। 21 साल की उम्र में, अपनी मां के साथ 10 दिनों तक छिपते-छिपाते उन्होंने भारतीय सीमा पार की। पहले कोलकाता के शरणार्थी कैंप में रहे, फिर नेपाल के रास्ते पीलीभीत पहुंचे, जहां बंगाली समुदाय की अच्छी खासी आबादी है। हालांकि, भारत में आने के बाद उनका जीवन आसान नहीं रहा। उन्हें नागरिकता नहीं मिली और कानूनी अड़चनों के कारण उन्हें 53 साल तक ‘घुसपैठिया’ का तमगा सहना पड़ा। उन्होंने कई बार नागरिकता के लिए आवेदन किया, लेकिन हर बार असफल रहे। इस बीच, उन्होंने अपनी आजीविका चलाने के लिए बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया। CAA लागू होने के बाद निरंजन मंडल ने एक बार फिर नागरिकता के लिए आवेदन किया। इस बार उन्हें सफलता मिली, और दिसंबर 2024 में उन्हें भारतीय नागरिकता प्राप्त हुई। अब उनका पूरा परिवार भारत में खुशी-खुशी रह रहा है। मंडल की तीन बेटियों की शादी हो चुकी है, और उनका बेटा भी है। हालांकि, इन 53 वर्षों में वह अपने पीछे छूटे भाइयों से कभी नहीं मिल सके। उन्हें 30 साल बाद कहीं से ये खबर मिली कि उनके भाई बांग्लादेश में ही रह रहे हैं, लेकिन किस हाल में, इसकी जानकारी नहीं मिल पाई। जिस CAA कानून को विपक्षी दलों ने मुसलमान-विरोधी और संविधान-विरोधी बताया था, वही कानून आज हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों को इस्लामी देशों में हो रहे अत्याचारों से बचाने का जरिया बन रहा है। अगर यह कानून पहले लागू हो जाता, तो न केवल निरंजन मंडल जैसे लोग घुसपैठिया कहे जाने का दंश झेलने से बच जाते, बल्कि कई लोगों की जान भी बचाई जा सकती थी। CAA के विरोध में देश में शाहीनबाग जैसे धरने-प्रदर्शन हुए और आम जनता को गुमराह किया गया। लेकिन सच्चाई यह है कि पड़ोसी इस्लामी देशों में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर अत्याचार आज भी जारी हैं। वहां हिंदुओं को काफिर कहकर उनकी हत्या करना, उनके घर जलाना और उनकी बेटियों को जबरन उठाना आम बात है। भारत के विपक्षी नेताओं को चाहिए कि वे इन देशों का दौरा करें और अपनी आंखों से इस भयावह सच्चाई को देखें। पीलीभीत जिले से CAA लागू होने के बाद 7990 नागरिकता आवेदन किए गए, जिनमें से 9 लोगों को नागरिकता मिल चुकी है। निरंजन मंडल के अलावा गोपाल नामक एक अन्य व्यक्ति को भी नागरिकता दी गई। गोपाल के पिता बांग्लादेश से आए थे, लेकिन भारत में जन्मे होने के बावजूद उन्हें कानूनी रूप से नागरिकता नहीं मिली थी। CAA के कारण अब वह भारतीय नागरिक बन चुके हैं। CAA जैसे कानून का विरोध करने वाले अब यह समझें कि यह कानून मानवता की रक्षा के लिए है। यह उन लाखों लोगों को पहचान देने का माध्यम है, जो अपने ही देश में सताए गए और भारत में शरण लेने को मजबूर हुए। इसके उलट बांग्लादेश और अन्य देशों के मुस्लिम घुसपैठियों को भारत में आसानी से शरण मिल जाती है, वोट बैंक के लालची नेता, उनके कागज़ों का भी सत्यापन कर देते हैं और उनके फर्जी वोटर आईडी और आधार कार्ड भी बना देते हैं, लेकिन असल में शरण पाने वाले निरंजन जैसे लोगों को 5 दशक लग जाते हैं, ये साबित करने में कि उनकी पुण्यभूमि यही है। ये आरोप भी हवा में नहीं हैं, यूपी में ऐसे बांग्लादेशी घुसपैठिए पूरे कागज़ों के साथ पकड़े गए हैं, जिन्हे समाजवादी पार्टी "(सपा) के विधायक इरफ़ान सोलंकी ने कागज़ बनवाकर बसाया था और वे वोट भी देते थे, जबकि निरंजन जैसे लोग, नागरिकता के लिए भी तरसते रहे। इस नए साल में बर्फ़बारी से होगा पर्यटकों का स्वागत, पहाड़ों पर बिछी सफ़ेद चादर 'अंग्रेज़ों ने भारतीयों के दिमाग में झूठ भर दिया..', ऐसा क्यों बोले संघ प्रमुख भागवत ? Ind Vs Aus: चौथे टेस्ट में बैकफुट पर भारत, आधी टीम पवेलियन में लौटी