नहीं रहे Essar ग्रुप के चेयरमैन शशि रुइया

भारतीय उद्योग जगत को एक और बड़ा झटका लगा है, क्योंकि एस्सार ग्रुप के सह-संस्थापक एवं प्रमुख उद्योगपति शशि रुइया का निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे तथा मंगलवार को अंतिम सांस ली। शशि रुइया ने एस्सार ग्रुप को वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख और शक्तिशाली कंपनी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में एस्सार ग्रुप ने 25 देशों में अपनी उपस्थिति दर्ज की। शशि रुइया के निधन को भारतीय उद्योग जगत के लिए एक बड़ी क्षति माना जा रहा है तथा इसने एक ऐसे युग के समापन को चिह्नित किया है, जब उन्होंने उद्योग, व्यापार एवं आर्थिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। शशि रुइया की अंतिम यात्रा रुइया हाउस से 4 बजे शाम को निकलेगी।

शशि रुइया और उनके छोटे भाई रवि रुइया ने 1969 में चेन्नई में एस्सार ग्रुप की नींव रखी थी। आरम्भ में यह एक छोटी कंस्ट्रक्शन कंपनी थी, जिसका मुख्य उद्देश्य भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए आवश्यक संसाधन मुहैया कराना था। हालांकि, शशि रुइया के दूरदर्शी नेतृत्व ने इस कंपनी को न केवल देश के भीतर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक ताकतवर तथा विविध व्यापारिक समूह बना दिया। एस्सार ग्रुप के विविध व्यवसायों में निर्माण, स्टील, तेल रिफाइनिंग, टेलीकम्युनिकेशन और बिजली उत्पादन शामिल हैं।

90 के दशक में एस्सार ग्रुप ने स्टील उत्पादन एवं टेलीकम्युनिकेशन क्षेत्रों में अपनी मजबूत स्थिति बनानी आरम्भ की। शशि रुइया की नेतृत्व क्षमता और रणनीतिक सोच ने कंपनी को न सिर्फ भारत में, बल्कि दुनिया के अन्य हिस्सों में भी एक प्रमुख उद्योग समूह के रूप में स्थापित किया। एस्सार स्टील, टाटा स्टील एवं सेल जैसी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करती थी और टेलीकम्युनिकेशन में भी उसने अपनी पहचान बनाई। 2000 के दशक के आसपास, शशि रुइया ने ग्रुप के कारोबार का विस्तार एवं विविधीकरण किया। एस्सार ने माइनिंग, पावर सेक्टर और शिपिंग में भी निवेश किया। इस के चलते ग्रुप ने कई बड़े अंतरराष्ट्रीय निवेश किए, जो उसके वैश्विक व्यवसाय को और मजबूत बनाने में मददगार साबित हुए।

शशि रुइया के निधन पर एस्सार ग्रुप ने एक बयान जारी किया, जिसमें उनकी निधन को भारतीय उद्योग जगत के लिए एक बड़ी क्षति तथा एक युग के समापन के रूप में बताया गया। बयान में कहा गया कि शशि रुइया के नेतृत्व में एस्सार ग्रुप ने वैश्विक व्यापार क्षेत्र में एक अहम स्थान हासिल किया तथा उनका योगदान असाधारण था। उन्होंने न सिर्फ एक उद्योग सम्राट के रूप में, बल्कि एक प्रेरक और दूरदर्शी नेता के रूप में भी अपनी पहचान बनाई। उनका निधन न केवल उनके परिवार और सहयोगियों के लिए, बल्कि भारतीय व्यापार जगत के लिए भी एक अपूरणीय क्षति है।

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