नई दिल्ली: जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में गैर-मुस्लिम छात्रों और शिक्षकों के साथ भेदभाव और कथित धर्मांतरण के मामले की जांच के लिए *कॉल फॉर जस्टिस* नामक संस्था द्वारा गठित एक तथ्यान्वेषण समिति ने अपनी रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में बताया गया कि पिछले बीस वर्षों में कई हिंदू छात्रों और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों व शिक्षकों को भेदभाव, उत्पीड़न और धर्मांतरण का दबाव झेलना पड़ा है। इस समिति में दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति शिव नारायण ढींगरा, दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त एस.एन. श्रीवास्तव और अन्य सदस्य शामिल हैं। समिति ने अपनी रिपोर्ट को केंद्रीय गृह मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय और दिल्ली के उपराज्यपाल को भेजने का निर्णय लिया है, ताकि इस मामले पर उचित कार्रवाई की जा सके। रिपोर्ट में कई घटनाओं का जिक्र है, जैसे एक सहायक प्रोफेसर ने बताया कि मुस्लिम सहकर्मियों ने उनके शोध को लेकर अपमानजनक टिप्पणियां कीं। इसी तरह, एक अन्य प्रोफेसर ने शिकायत की कि उन्हें कम सुविधाएं दी गईं, जबकि उनके बाद नियुक्त मुस्लिम सहकर्मियों को सारी सुविधाएं मिलीं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि कुछ प्रोफेसरों ने कक्षा में छात्रों पर इस्लाम का पालन करने का दबाव डाला। कई गैर-मुस्लिम छात्रों ने उत्पीड़न और भेदभाव के चलते विश्वविद्यालय छोड़ दिया। समिति के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एस.एन. ढींगरा ने बताया कि 7 प्रोफेसरों, सहायक प्रोफेसरों और पीएचडी छात्रों समेत 27 गवाहों के बयान के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई है। एक घटना में एक फैकल्टी सदस्य को "वंदे मातरम" बजाने के कारण उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। यही नहीं, कुछ विधवा महिला कर्मचारियों पर इस्लाम कबूल करके मुस्लिम पुरुषों से विवाह करने का भी दबाव बनाया गया। समिति ने इस मुद्दे को गंभीर मानते हुए गृह मंत्रालय से कार्रवाई की मांग की है। समिति ने कहा कि संविधान के तहत हर व्यक्ति को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है, और किसी पर धर्मांतरण का दबाव बनाना या उत्पीड़न करना एक गंभीर अपराध है। अब देखना ये है कि, गृह मंत्रालय इस रिपोर्ट पर क्या एक्शन लेता है ? और क्या विपक्ष इसे भी मुसलमानों के खिलाफ कार्रवाई बताकर इसका विरोध करता है ? मेरठ में 30 परिवारों के 150 लोगों ने की घर वापसी, बन गए थे ईसाई सराय काले खां नहीं, बिरसा मुंडा चौक कहिए...! दिल्ली में सरकार ने बदला नाम वारिस खान को सीएम यादव ने बताया MP का गौरव, इनाम का ऐलान, जानिए क्यों?