हर प्रदोष व्रत का है अलग महत्व, यहाँ जानिए

हिन्दू धर्म में प्रत्येक महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखने की परंपरा है. इस दिन महादेव की पूजा की जाती है तथा उनकी कृपा से तमाम मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. प्रदोष व्रत की पूजा शाम के वक़्त अधिक लाभदायी होती है. ऐसे में शाम 6 बजकर 30 मिनट से 8 बजकर 30 मिनट तक आप पूजा कर सकते हैं. इसके अतिरिक्त दोपहर की पूजा 12 बजे से 3 बजे तक की जा सकती है. हालांकि प्रदोष काल को महादेव की पूजा के लिए सबसे उत्तम समय माना गया है. ऐसे में इसी वक़्त पूजा करने का प्रयास करें.

हर प्रदोष व्रत का अलग महत्व - प्रदोष रविवार को पड़ने पर आयु वृद्धि, अच्छी सेहत का फल प्राप्त होता है - प्रदोष सोमवार को पड़े तो आरोग्य देता है. इच्छाओं की पूर्ति होती है. - प्रदोष मंगलवार को हो तो रोगों से मुक्ति एवं सेहत का लाभ प्राप्त होता है. - प्रदोष बुधवार को हो तो सभी कामनाओं की पूर्ति होती है. - प्रदोष गुरुवार को हो तो व्रत के फल से शत्रु शांत हो जाते हैं. - प्रदोष शुक्रवार को हो व्रत से सौभाग्य, पारिवारिक सुख और शांति प्राप्त होती है. - प्रदोष शनिवार का हो तो व्रत से संतान सुख प्राप्त होता है. 

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