वाराणसी: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) शुक्रवार (17 नवंबर) को वाराणसी जिला अदालत में विवादित ज्ञानवापी परिसर की वैज्ञानिक रिपोर्ट पेश कर सकता है। ASI ने पांच हिंदू महिला उपासकों द्वारा दायर याचिका पर वाराणसी जिला अदालत के निर्देश पर विवादित ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया है, जिसमें दावा किया गया है कि मस्जिद पहले से मौजूद हिंदू मंदिर के ऊपर बनाई गई थी और इसके अंदर पूरे साल पूजा करने का अधिकार मांगा गया था। बता दें कि, ASI ने कुछ दिन पहले जिला अदालत को सूचित किया था कि उसने अदालत के निर्देशानुसार ज्ञानवापी मस्जिद का वैज्ञानिक सर्वेक्षण पूरा कर लिया है और अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए कुछ समय मांगा है, यह कहते हुए कि रिपोर्ट संकलित करने में कुछ और समय लग सकता है। साथ ही ASI ने सर्वेक्षण कार्य में प्रयुक्त उपकरणों का विवरण भी दिया है। उल्लेखनीय है कि, जिला अदालत ने ASI के आवेदन को स्वीकार कर लिया था और उसे अदालत में अपनी रिपोर्ट जमा करने के लिए 17 नवंबर तक का समय दिया था। कोर्ट के पहले के आदेश के अनुसार, 6 नवंबर तक रिपोर्ट सौंपनी थी। जिला न्यायालय ने पहले 4 अगस्त को, जो वैज्ञानिक रिपोर्ट जमा करने की मूल समय सीमा थी, ASI को सर्वेक्षण पूरा करने और 4 सितंबर तक अपनी रिपोर्ट जमा करने के लिए एक अतिरिक्त महीने का समय दिया और बाद में, 6 सितंबर को चार सप्ताह का एक और विस्तार दिया। वाराणसी जिला न्यायालय ने पांच हिंदू महिला उपासकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए पहले ASI को "वुजुखाना" को छोड़कर पूरे ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या उस स्थान पर पहले कोई हिंदू मंदिर मौजूद था। हालाँकि, मुस्लिम पक्ष ने सर्वे का पुरज़ोर विरोध किया था, लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका ख़ारिज होने के बाद ये सर्वे संपन्न हुआ है। हिंदू महिला उपासकों ने क्या प्रस्तुत किया? बता दें कि, पांच हिंदू महिला उपासकों ने विवादित ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की मांग करते हुए कहा कि वैज्ञानिक सर्वेक्षण यह स्थापित करने के लिए आवश्यक है कि क्या ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया था। ज्ञानवापी मस्जिद की देखभाल करने वाली अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने जिला न्यायालय के आदेश को इलाहाबाद उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी। हालाँकि, दोनों उच्च न्यायालयों ने जिला न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। पहले ज्ञानवापी सर्वे में क्या-क्या मिला था ? बता दें कि, इससे पहले ज्ञानवापी में एक और सर्वे किया जा चुका है। जिसमे हिन्दू मंदिर के काफी सबूत मिले थे। ये सर्वे मई 2022 में किया गया था। तब वहां वीडियोग्राफी की गई थी, जिसमे दीवारों पर त्रिशूल, कलश, कमल और स्वास्तिक के निशान मिले थे। साथ ही ज्ञानवापी के तहखाने में मंदिर से जुड़ी खंडित कलाकृतियां भी मिली थी। उस समय मुस्लिम पक्ष वजूखाने की तलाशी देने से इंकार कर रहा था, लेकिन प्रशासन की सख्ती के कारण जब वजूखाने का पानी खाली कराया गया, तो वहां शिवलिंग नुमा आकृति मिली, जिसे मुस्लिम पक्ष फव्वारा बताने लगा । जब उनसे कहा गया कि, यदि ये फव्वारा है, तो इसे चलाकर दिखाएं, तो उन्होंने कह दिया कि बहुत पुराना है, इसलिए अब नहीं चलता। वहीं, जब हिन्दू पक्ष शिवलिंग नुमा आकृति की कार्बन डेटिंग की मांग लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तो भी मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध किया। दरअसल, कार्बन डेटिंग से यह पता चल सकता था कि, वो आकृति कितनी पुरानी है और वो शिवलिंग है या फव्वारा। लेकिन, मुस्लिम पक्ष का विरोध देख सुप्रीम कोर्ट ने कार्बन डेटिंग की अनुमति नहीं दी। मामला फिर निचली अदालत में पहुंचा और वहां से ASI को वैज्ञानिक सर्वे का आदेश दिया गया। अब ASI ने अपना सर्वे पूरा करके रिपोर्ट तैयार कर ली है और कल इसे अदालत में जमा किया जा सकता है। राजस्थान में जेपी नड्डा ने जारी किया भाजपा का संकल्प पत्र, किए ये बड़े ऐलान अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में 'आतंक' का अड्डा ! भारत में 'शरिया' लागू करने का लक्ष्य, ATS ने 7 आतंकियों को दबोचा आपस में भिड़े कैलाश विजयवर्गीय और संजय शुक्ला समर्थक, थाने में होने लगी हाथा-पाई