'सहयोगी दलों को सब दे दिया, सहयोगियों को झुनझुना दे दिया..', बजट पर विपक्ष के दोनों बयान, क्या हैं सियासी मायने ?

नई दिल्ली: विपक्ष ने आज मंगलवार (23 जुलाई) को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण की आलोचना करते हुए कहा कि इसमें गरीबों के उत्थान पर ध्यान नहीं दिया गया और अन्य राज्यों की कीमत पर चंद्रबाबू नायडू की TDP तथा JDU के बिहार जैसे एनडीए सहयोगियों को प्राथमिकता दी गई। NDA सरकार के खिलाफ आरोप लगाते हुए लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इसे "कुर्सी बचाओ" बजट करार दिया।

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि बजट का उद्देश्य अपने करीबी मित्रों को खुश करना है तथा इसमें आम भारतीय को कोई राहत नहीं दी गई है। वहीं, राहुल के सहयोगी अखिलेश यादव ने भी यही बात दोहराई। समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद ने कहा कि केंद्रीय बजट 2024 सत्ता बनाए रखने का एक तरीका है, क्योंकि उन्होंने NDA के दोनों सहयोगी बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए विशेष परियोजनाओं का उल्लेख किया। बता दें कि, वित्त मंत्री ने बजट 2024 में बिहार में नए हवाई अड्डों, मेडिकल कॉलेजों, राजमार्गों और आंध्र प्रदेश के लिए विशेष वित्तीय सहायता की घोषणा की।

इस लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने वाले अखिलेश यादव ने कहा कि यह "अच्छा" है कि केंद्र ने बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए विशेष परियोजनाओं की घोषणा की, क्योंकि वे "सरकार बचाना" चाहते हैं। हालाँकि, गौर करने वाली बात ये भी है कि, एक तरफ विपक्ष के नेता कह रहे हैं कि, केंद्र ने अपनी सरकार बचाने के लिए बिहार और आंध्र को काफी कुछ दे दिया। वहीं, दूसरी तरफ विपक्ष के ही कुछ नेता कह रहे हैं कि, बिहार और आंध्र को झुनझुना पकड़ाया गया है, जैसे कुछ ना दिया गया हो। ऐसे में जनता भी कन्फ्यूज है कि, विपक्ष आखिर कहना क्या चाहता है ? भले ही सरकार बचाने के लिए, लेकिन क्या सचमुच केंद्र ने बिहार और आंध्र के विकास के लिए कुछ दिया है ? या फिर अन्य विपक्षी नेताओं के मुताबिक, कुछ नहीं दिया, बस झुनझुना पकड़ाया है ? देखा जाए तो विपक्ष के बयानों में तथ्यात्मक आलोचना की कमी है, ये आरोप महज सियासी आरोप लगते हैं, यदि आंकड़ों के साथ बेरोज़गारी दर या महंगाई दर के साथ कुछ बातें कही जातीं, तो बात शायद जनता को भी समझ आती। 

अब तथ्य ये है कि, बीमारू राज्य होने के नाते बिहार को 59 हज़ार करोड़ से अधिक की सौगात मिली है, इससे पहले केंद्र ने उसे विशेष राज्य का दर्जा देने से इंकार कर दिया था और राज्य के विकास में मदद करने का वादा किया था, जिससे वहां रोजगार और उद्योग के अवसर पैदा हो सकें। अब नए मेडिकल कॉलेज, एयरपोर्ट, पॉवर प्लांट, सड़क, रेलमार्ग, ब्रिज आदि बनाने का ऐलान किया है। वहीं, हर साल आने वाली बाढ़ को रोकने की व्यवस्था बनाने के लिए 11 हज़ार करोड़ दिए हैं। हालाँकि, बिहार को मिले हजारों करोड़ के तोहफे पर राबड़ी देवी ने कहा कि यह बस एक झुनझुना है, इससे कुछ नहीं होगा।   

वहीं, कांग्रेस नेता पप्पू यादव ने भी राबड़ी जैसी बात कही है, उन्होंने कहा है कि किंगमेकर रहने के बाद भी नितीश कुमार को कुछ नहीं मिला। केंद्र ने उन्हें विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया। पप्पू यहाँ अपने ही नेता राहुल गांधी के बयान से उलटे चल रहे हैं, जिन्होंने कहा है कि, सरकार ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए बिहार और आंध्र को बहुत कुछ दे दिया, पप्पू का कहना है कि कुछ नहीं दिया। वहीं, कांग्रेस विधायक  शकील अहमद खान ने अपने हाथों में झुनझुना लेकर विधानसभा जा पहुंचे और कहने लगे कि, सरकार ने बिहार को झुनझुना पकड़ा दिया है। अब बिहार-आंध्र को सबकुछ दे दिया, वाली थ्योरी विपक्ष द्वारा दूसरे राज्यों में इस्तेमाल की जाएगी, ये कहते हुए कि उन्हें सब दे दिया, तुम्हे नहीं दिया। वहीं, झुनझुने वाली थ्योरी बिहार-आंध्र के अंदर इस्तेमाल की जाएगी कि, तुम्हे विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया और झुनझुना पकड़ा दिया। जब वित्त मंत्री बजट पढ़ रहीं थीं, तब भी विपक्ष बिहार और आंध्र को विशेष पैकेज को लेकर नारेबाजी कर रहा था।

वहीं, युवाओं को इंटर्नशिप दिलाने और इस दौरान 5000 रूपए प्रदान करने की सरकार की घोषणा पर कांग्रेस ने दावा किया है कि सरकार ने हमारे घोषणापत्र की योजना चुरा ली। वैसे इससे कांग्रेस को इससे खुश होना चाहिए, जो वादा उसने किया था, वो सरकार ने पूरा कर दिया। जयराम रमेश और पी चिदंबरम ने दावा किया है कि, युवाओं के लिए सरकार की इंटर्नशिप योजना कांग्रेस घोषणापत्र का कॉपी पेस्ट है। वहीं, कांग्रेस के ही जयराम रमेश का कहना है कि युवाओं के लिए कोई घोषणा नहीं की गई, रोज़गार पैदा करने के लिए कुछ नहीं है।  

अब वित्त मंत्री का सदन में बयान देखिए, उन्होंने कहा कि, ‘मुझे 2 लाख करोड़ रुपये के केंद्रीय परिव्यय के साथ 5 वर्षों में 4.1 करोड़ युवाओं के लिए रोजगार, कौशल और अन्य अवसरों की सुविधा के लिए पांच योजनाओं और पहलों के लिए प्रधानमंत्री पैकेज की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है। इस वर्ष हमने शिक्षा, रोजगार और कौशल के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये का बजट रखा है।’ यानी 2 लाख करोड़ रूपए से रोज़गार सृजन का काम किया जाएगा। अब इससे कितने रोज़गार पैदा होते हैं, ये समय के साथ देखा जाएगा। बीते दिनों RBI की एक रिपोर्ट आई थी, जिसमे बताया गया था कि, बीते 4 वर्षों में कोरोना महामारी के बावजूद 8 करोड़ नौकरियां मिली हैं। वहीं, एक अन्य आंकड़े की बात करें तो वित्त वर्ष 23 में EPFO में 1.38 करोड़ नए लोग जुड़े हैं। यानी एक साल में इतने नए लोगों का PF काटना शुरू हुआ है, तो स्पष्ट है कि नौकरी भी कर रहे होंगे। कुछ ऑफ रोल भी होते हैं, जिनका PF तो नहीं कटता, लेकिन वे नौकरी या रोज़गार करते हैं।  

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