रांची: हाल ही में झारखंड से एक चौंकाने वाली खबर सामने आ रही है जिसमे बताया जा रहा है कि राज्य के स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से लाखों की दवाएं एक्सपायर हो गईं तथा उसे फेंक दी गईं. ये घटना लोहरदगा जिले की है. सदर अस्पताल परिसर में लाखों रुपये दाम की एक्सपायर दवाएं कूड़े की भांति फेंकी पायी गईं. ये दवाएं सिविल सर्जन दफ्तर से चंद कदमों के फासले पर पुरानी बिल्डिंग में प्राप्त हुई. जबकि सिविल सर्जन का कहना है कि उन्हें इसकी खबर ही नहीं है. हालांकि वह बोल रहे हैं कि इसकी तहकीकात कर अपराधी पर कार्यवाही की जाएगी. वही कचरे की भांति फेंकी गई एक्सपायर दवाओं में कई दवाएं महंगी तथा जीवन रक्षक हैं. दवाएं वर्ष 2020 तथा 2021 के भिन्न-भिन्न माह में एक्सपायर हुई हैं. इनमें कुछ टॉनिक, कफ सिरप, बच्चों की दवाएं तथा एंटीबायोटिक भी हैं जिनका इस्तेमाल कोरोना महामारी में हो सकता था. जिले के दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में मौजूद सरकारी हॉस्पिटल्स में डॉक्टर तथा मेडिकल स्टाफ की कमी है जिसके कारण स्वास्थ्य विभाग जितनी मात्रा में दवाएं मंगाता है उसका पूरा इस्तेमाल नहीं हो पाता. वही कचरे के ढेर में पाई गई दवाओं में अलप्रावीन 0.25 बहुत मात्रा में है. जिसके एक पैकेट का दाम 928 रुपए है. यह दवा दिसंबर 2020 में एक्सपायर हुई है. सेट्रिजिन सिरप, अमाक्सीसिलिन ओरल, नेमोरेंज समेत कई दवाएं डंप हैं. सिविल सर्जन से इस सिलसिले में प्रश्न पूछने के तुरंत पश्चात् ही वहां से दवाओं का ढेर हटा दिया गया. वही सिविल सर्जन ने मौके पर ही फार्मासिस्ट को बुलाकर पूछताछ की. रजिस्टर चेक किया. इसमें एक दवा की एंट्री नहीं थी. इस पर CS ने बोला कि यह दवा सदर हॉस्पिटल की नहीं है तो कहां की हैं तथा यहां कैसे आईं इसकी भी तहकीकात होगी. HC ने लगाई राज्य सरकार को फटकार, कहा- 'अगर अधिकारी अपने आप में सुधार नहीं लाएंगे तो...' भाजपा ने राहुल गांधी को दिखाए काले झंडे तो बोले सीएम बघेल- 'भाजपाई किस बात का विरोध कर रहे हैं' अपनी कलेजे के टुकड़े को बचाने के लिए मां ने मौत को लगाया गले, मामला जानकर काँप उठेगी रूह