ED निदेशक का कार्यकाल बढ़ाना वैध या अवैध ? सुप्रीम कोर्ट में कल सुनवाई

नई दिल्ली: केंद्रीय एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय यानि ED के निदेशक के कार्यकाल को बढ़ाने के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल की गई याचिका पर सोमवार को सुनवाई स्थगित हो गई है। दरअसल, आज इस मामले पर सुनवाई होनी थी। मगर, एक याचिकाकर्ता एमएल शर्मा ने इस बात पर आपत्ति जताई कि उन्होंने सबसे पहले याचिका दाखिल की थी। किन्तु उनके नाम से याचिका लिस्ट नहीं हुई है। इसलिए पहले उन्हें दलील रखने का अवसर दिया जाए। 

इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि यह देखे कि किसने पहले याचिका दाखिल की थी। केंद्र सरकार ने नवम्बर 2021 में अलग-अलग अध्यादेश के माध्यम से प्रवर्तन निदेशालय और CBI डायरेक्टर का कार्यकाल 5 साल तक रहने की व्यवस्था बनाई है। अदालत में इसे चुनौती दी गई है। इस मामले में अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (TMC) के प्रवक्ता साकेत गोखले, जया ठाकुर, रणदीप सिंह सुरजेवाला, महुआ मोईत्रा, विनीत नारायण सहित कई नेताओं की याचिकाएं लंबित हैं। भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) एनवी रमना और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की बेंच ने मामले पर आज सुनवाई की।

इन याचिकाओं में दावा किया है कि केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम की धारा 25 के तहत विस्तार अमान्य था और कॉमन कॉज बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में सुप्रीम कोर्ट के सितंबर 2021 के फैसले के घोर उल्लंघन में, जिसमें यह कहा गया था कि कार्यकाल का कोई और विस्तार नहीं है, ED के मौजूदा डायरेक्टर को प्रदान किया जाएगा। उस फैसले में शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार के 13 नवंबर, 2020 के पहले के एक फैसले की पुष्टि की थी, जिसने मिश्रा के नियुक्ति आदेश में पूर्वव्यापी संशोधन किया था, जिससे उनका कार्यकाल दो से तीन वर्ष तक के लिए बढ़ गया था।

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