फर्जी खबर शेयर करना पड़ सकता है भारी, हो सकता है मुकदमा

कोरोना वायरस को लेकर सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों को रोकने के लिए सरकार बार-बार लोगों से अपील कर रही है। इसके अलावा फर्जी खबरों को रोकने के लिए ही व्हाट्सएप ने मैसेज फॉरवर्डिंग को अब एक तक सीमित कर दिया परन्तु लोग फर्जी खबरों को सोशल मीडिया पर शेयर करने से बाज नहीं आ रहे हैं। अब फेसबुक ने सॉफ्टवेयर कंपनी चलाने वाले एक भारतीय पर कोरोना वायरस से जुड़ी फर्जी जानकारी और छलावापूर्ण विज्ञापन साझा करने के लिए कैलिफोर्निया की अदालत में मामला दर्ज किया है। फेसबुक ने कंपनी के विज्ञापनों की समीक्षा प्रक्रिया में जानकारियों को भ्रामक पाए जाने के बाद यह कार्रवाई की। 

फेसबुक का आरोप है कि बसंत गज्जर की कंपनी ‘लीडक्लोक’ ने कोरोना वायरस, क्रिप्टोकरेंसी, वजन घटाने की दवाओं इत्यादि से जुड़ी फर्जी जानकारियों और विज्ञापनों को धोखा देने के लिए ‘एड-क्लोकिंग’ सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराया। वहीं इससे कंपनी के फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे मंचों पर उपयोगकर्ताओं को भ्रामक विज्ञापन देखने पड़े। फेसबुक ने अपनी विज्ञापन समीक्षा की स्वचालित प्रक्रिया की समीक्षा के दौरान यह पता लगाया। आपकी जानकारी के लिए बता दें की एड-क्लोकिंग सॉफ्टवेयर ऑनलाइन कंपनियों के सर्च इंजन को धोखा देने लिए बनाए जाते हैं। इसके इस्तेमाल से उपयोक्ता को पूछी गयी जानकारी के बदले छद्म जानकारी मिलती है। 

आपकी जानकारी के लिए बता दें की क्लोकिंग को एक अनैतिक प्रौद्योगिकी माना जाता है।फेसबुक ने विधि विभाग की निदेशक जेसिका रोमेरो ने एक बयान में कहा कि थाइलैंड के गज्जर ने ‘लीडक्लोक’ नाम का उपयोग कर कंपनी की विज्ञापत नीति का उल्ल्घंन किया है।’’ वहीं लीडक्लोक का शिकार गूगल, ओथ, वर्डप्रेस, शॉपिफाई और अन्य कंपनियां भी बनी हैं। इसकी लावा इस मामले में लीडक्लोक के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल वैश्विक महामारी संकट कोरोना वायरस, क्रिप्टोकरेंसी, दवा, और फर्जी खबरों के पेजों के बारे में भ्रामक जानकारियां साझा करने में किया गया।

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