फेसबुक ने कभी पीरियड ट्रैकर एप्‍स से स्त्रियों का बहुत प्राइवेट डेटा हासिल करने उन्‍हें विज्ञापन कंपनियों का टारगेट बनाने का प्रयास किया था। वही अब एक बार फिर फेसबुक विज्ञापन दिखाने में स्त्रियों के साथ पक्षपात कर रहा है। एक नए अध्ययन ये कह रहा है कि फेसबुक पुरुषों तथा महिलाओं को दिखाने वाले विज्ञापन में पक्षपात करता है। पुरुषों को एक विशेष प्रकार के और महिलाओं को एक विशेष प्रकार के विज्ञापन दिखाता है। यूनिवर्सिटी ऑफ साउदर्न कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं ने इस बात का दावा किया है। वहां विशेषज्ञों की एक एक टीम फेसबुक तथा लिंकडेन के एड एल्‍गोरिद्म पर शोध कर रही थी। अपने शोध में उन्‍होंने पाया कि समाज में महिलाओं तथा पुरुषों को लेकर जिस-जिस प्रकार के पूर्वाग्रह हैं, फेसबुक उन पूर्वाग्रहों का पालन करते हुए न केवल औरतों और मर्दों को अलग-अलग किस्‍म के विज्ञापन दिखा रहा है, बल्कि इसके माध्यम से इस जेंडर गैप को बढ़ाने में अपना भरपूर योगदान भी दे रहा है। वही ये पक्षपात केवल उत्‍पादों के विज्ञापनों तक ही सीमित नहीं है, क्‍योंकि इस बात को तो फिर भी समझा जा सकता है कि महिलाएं तथा पुरुष अलग-अलग प्रकार के उत्‍पादों का उप्स्योग करते हैं। यह पक्षपात नौकरियों के विज्ञापन तथा उससे संबंधित योग्यता जैसी जानकारियों को लेकर हो रहा है। यह पक्षपात खतरनाक है तथा जेंडर पक्षपात के विरुद्ध अमेरिकी कानून का भी स्पष्ट उल्‍लंघन है। CBSE Exam 2021: CBSE ने रद्द की 10वीं की परीक्षाएं, 12वीं की एग्जाम स्थगित कोरोना काल में हुआ 1 लाख लोगों का धर्मान्तरण, 50000 गांवों को चर्चों ने लिया गोद केरल लॉटरी परिणाम: इस समय होगी अक्षय एके-493 विजेताओं की घोषणा