लाइफस्टाइल और तनाव के कारण थायराइड के मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. थायराइड के मरीजों में 80 प्रतिशत संख्या महिलाओं की है. इस रोग को साइलेंट किलर भी कहा जाता है. थाइराइड गले की नली में पायी जाने वाली एक ग्रंथि होती है, जो कि मेटाबॉलिज्म ग्रंथि को कंट्रोल करती है. जब हम कुछ खाते है तब थायराइड ग्रंथि शरीर के लिए उपयोगी ऊर्जा में बदलती है. थायराइड हार्मोन क्षमता से अधिक पैदा होने के कारण थायराइड की समस्या होती है. थायराइड ग्रंथि के ठीक से काम न करने के कारण शरीर में कई प्रकार की समस्याए शुरू हो जाती है. थकान आना, इम्युनिटी कमजोर होना, जुकाम, वजन बढ़ना और हाथ-पैर ठंडे रहने जैसी सामान्य समस्याएं थायराइड में होती है. बॉडी में थायराइड हार्मोन की मात्रा कम होने पर सुस्ती और आलस आता है, इसकी मात्रा बढ़ने पर शरीर अधिक एक्टिव हो जाता है. बता दे कि हाइपोथायराइडिज्म में टीएसएच का स्तर बढ़ जाता है और टी3 व टी4 की मात्रा कम हो जाती है. हाइपरथायराइडिज्म में टीएसएच का स्तर घटता है और टी3 व टी4 की मात्रा बढ़ जाती है. यदि सेहत को लेकर जागरूक रहा जाये तो शुरूआती स्तर में इसे पहचान कर इलाज कराया जा सकता है. ये भी पढ़े रोज गुड़ की एक डली का सेवन करने से होते है बेहतरीन फायदे लीवर को स्वस्थ रखता है बेर ये ड्रिंक करेगा आपके वजन को कम