नई दिल्ली : देश में उत्पादन क्षेत्र की गति सुस्त रहने से औद्योगिक उत्पादन इस साल मार्च में 0.1 फीसदी घट चुका है। यह 21 माह के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। शुक्रवार को केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, मार्च 2018 में इसमें 5.3 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई थी। जहां विनिर्माण, खनन और बिजली जैसे तमाम उद्योगों के औद्योगिक सूचकांक के आधार पर औद्योगिक उत्पादन की गणना की जाती है। इस बार वैवाहिक सीजन में सोने ने तोड़ दिए पिछले सारे रिकॉर्ड जानकारी के अनुसार इससे पहले औद्योगिक उत्पादन 0.3 फीसदी घटने से जून, 2017 में आईआईपी सबसे निचले स्तर पर था। लेकिन वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 3.6 फीसदी रही। वहीं, 2017-18 में यह सालाना आधार पर 4.4 फीसदी की दर से बढ़ गया था। 2016-17 में यह 4.6 फीसदी और 2015-16 में 3.3 फीसदी रहा था। इस बीच फरवरी, 2019 के लिए औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर को 0.1 फीसदी से संशोधित कर और कम यानी 0.07 कर दिया गया है। तीन लाख करोड़ को पार कर सकता है, मुद्रा योजना के तहत दिया जाने वाला कर्ज आईआईपी में उत्पादन क्षेत्र की हिस्सेदारी 77.63 फीसदी होती है। मार्च में इस क्षेत्र में 0.4 फीसदी की गिरावट रही, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में इसमें 5.7 फीसदी का विस्तार हुआ था। जहां पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन मार्च में 8.7 फीसदी तक घट गया। मार्च 2018 में भी इसके अंतर्गत 3.1 फीसदी की गिरावट रही थी। बिजली क्षेत्र का उत्पादन मार्च में 2.2 फीसदी धीमा हुआ, जिसमें पिछले साल की समान अवधि में भी 5.9 फीसदी की गिरावट रही थी। डॉलर के मुकाबले रूपये की हुई कमजोर शुरुआत एशियाई बाजारों में तेजी के बाद भारतीय शेयर बाजारों में नजर आई बढ़त इस साल से पाकिस्तान में बढ़ सकता है भारत का चाय निर्यात, यह है कारण