बीजिंग : चीन के जियांग्सू प्रांत के यिक्सिंग शहर में 16 नवंबर 2024 को एक भयानक चाकूबाजी की घटना हुई, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। यह हमला शाम करीब 6:30 बजे ‘वूशी वोकेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आर्ट्स एंड टेक्नोलॉजी’ कॉलेज के सामने हुआ। इस घटना में आठ लोगों की मौत हो गई और 17 अन्य घायल हो गए। हमलावर की पहचान 21 वर्षीय युवक शू के रूप में हुई है, जो इसी कॉलेज का छात्र था। पुलिस के अनुसार, शू कॉलेज से इस साल ग्रेजुएट होने वाला था, लेकिन परीक्षा में फेल होने के कारण उसे स्नातक प्रमाणपत्र नहीं मिल पाया। इसके अलावा, वह अपनी इंटर्नशिप के दौरान मिलने वाले कम वेतन से भी निराश था। इन कारणों से वह गहरे तनाव में था और उसका गुस्सा बढ़ता गया। इसी गुस्से में उसने कॉलेज के बाहर मौजूद छात्रों और अन्य लोगों पर हमला कर दिया। इस हमले में घायलों को तुरंत नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है। पुलिस ने शू को मौके पर गिरफ्तार कर लिया और जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच से यह पता चला है कि यह हमला पूरी तरह से हमलावर की व्यक्तिगत हताशा और गुस्से का परिणाम था। चीन में ऐसे हमले पहले भी हो चुके हैं। इससे पहले, दक्षिणी शहर झुहाई में एक व्यक्ति ने एक भीड़भाड़ वाले स्पोर्ट्स सेंटर में गाड़ी चढ़ा दी थी, जिसमें कम से कम 35 लोगों की जान चली गई थी। यह घटनाएं दिखाती हैं कि व्यक्तिगत मानसिक तनाव और असंतोष समाज में कितने घातक रूप ले सकते हैं। इस ताजा घटना ने चीन में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों और समाज में गुस्से और हताशा को संभालने के तरीकों पर बहस छेड़ दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़ती प्रतिस्पर्धा, व्यक्तिगत असफलताओं और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान न देने की प्रवृत्ति इस तरह की घटनाओं के लिए जिम्मेदार हो सकती है। सरकार और शैक्षणिक संस्थानों पर यह जिम्मेदारी है कि वे छात्रों और युवाओं को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों को हल करने के लिए जरूरी सहायता प्रदान करें। इसके अलावा, रोजगार के बेहतर अवसर और तनाव प्रबंधन पर विशेष ध्यान देकर इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकता है। यह घटना न केवल पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक गहरी त्रासदी है। इससे यह सीखने की जरूरत है कि हताशा और गुस्से को सही तरीके से संभालने के लिए मानसिक और सामाजिक समर्थन को प्राथमिकता दी जाए। झांसी अग्निकांड पर मानवाधिकार आयोग का सख्त रुख, यूपी सरकार को नोटिस जारी दिसंबर में खुल जाएगी महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष यूनिवर्सिटी, मिलेगी हर तरह की पारंपरिक चिकित्सा 'तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा..', सीएम सिद्धारमैया ने ये क्या शर्त रख दी?