भगवान का नाम लेकर बेचा जा रहा नकली घी, पकड़ी गई 5000 किलो की खेप

इंदौर: "देसी घी जैसा स्वाद," "लाइट घी," "पूजा घी," और "बटर से बेहतर" जैसी टैगलाइन के साथ घी और मक्खन की नकल बेची जा रही है। दुकानों एवं सुपर स्टोर्स से उपभोक्ता भ्रमित होकर वनस्पति तेल एवं केमिकल के मिश्रण खरीद रहे हैं। इन उत्पादों की बिक्री दुकानों से लेकर ई-कामर्स वेबसाइटों तक हो रही है। हाल ही में इंदौर में पकड़ी गई 5,000 किलो से अधिक नकली घी की खेप भी इसी मार्केटिंग रणनीति का हिस्सा है। नियमों की अस्पष्टता की वजह से ऐसे कारोबारी घी की नकल बनाने और बेचने के बावजूद मिलावट की कार्रवाई से बच जाते हैं।

कई ब्रांड अपने पैकेज पर "लाइट घी" या "देसी घी जैसा स्वाद" लिखते हैं, जिसमें "घी" शब्द को बोल्ड किया जाता है और बाकी टेक्स्ट को छोटा कर दिया जाता है। कोने में बहुत छोटे अक्षरों में "कुकिंग मीडियम" लिखा होता है। शुद्ध घी से 100 से 200 रुपये सस्ता होने के कारण उपभोक्ता लालच में आ जाते हैं। ब्रांड का नाम और पैकिंग देखकर वे असली घी समझकर खरीद लेते हैं। पूजन सामग्री की दुकानों पर "पूजा घी" के नाम से बिकने वाला घी पूरी तरह नकली होता है, जिसमें से कई तो अखाद्य तेलों से बने होते हैं। आम उपभोक्ता "घी" के साथ पूजा जैसा पवित्र शब्द पढ़कर इसे असली मानकर खरीद लेते हैं। पिछले वर्षों में कई ब्रांड ऐसे पूजा घी लॉन्च कर चुके हैं। नियमों की अस्पष्टता इन्हें नकली घी बेचने की अनुमति दे रही है।

उच्च न्यायालय के अधिवक्ता निमेष पाठक के मुताबिक, आमतौर पर ऐसे उत्पाद बनाने वाले कारोबारी पैकिंग पर "देसी घी" या "शुद्ध घी" नहीं लिखते। इनके पैक पर "कुकिंग मीडियम," "घी जैसा स्वाद," या "घी का विकल्प" लिखा जाता है, या केवल घी की तस्वीर छापकर ब्रांड नाम दिया जाता है। दरअसल, कानून में ऐसी टैगलाइन या तस्वीरों को प्रतिबंधित करने का कोई प्रावधान नहीं है। इस स्थिति में कानूनन इन पर मिलावट या नकली घी बेचने की कार्रवाई नहीं हो सकती। पैक के पीछे बारीक अक्षरों में अवयवों का विवरण लिखा होता है, जो आमतौर पर उपभोक्ता नहीं पढ़ता। "पूजा घी" लिखकर भी वे कार्रवाई से बचे रहते हैं क्योंकि उनकी दलील होती है कि यह खाने के लिए नहीं, पूजा के लिए है।

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