मध्यप्रदेश में चल रहा फर्जी वोटर्स काण्ड ने बड़ा रूप धारण कर लिया है जिसमें मध्यप्रदेश के कुछ अधिकारियों की भूमिका साफ तौर पर देखी जा सकती है. फर्जी वोटर्स मामले में आज यानी 3 जून को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित कई नेताओं ने दिल्ली जाकर चुनाव आयोग के सामने इस मामले को सबूतों के साथ पेश किया साथ ही अपनी कुछ मांगे भी कांग्रेस ने चुनाव आयोग के सामने रखी. क्या है मामला: फर्जी वोटर्स काण्ड में मध्यप्रदेश में बड़ा घोटाला उजागर हो सकता है, इस मामले में सिंधिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपने आकड़ें और जांच पेश की है. कांग्रेस के नेता सिंधिया ने इस मामले में जो आकड़े पेश किये है वो चौंकाने वाले है जिसके अनुसार मध्य्रपदेश के चुनाव परिणामों को बुरी तरह से प्रभावित कर लोकतंत्र के साथ भद्दा मजाक किया जा रहा है. मध्यप्रदेश की 101 विधानसभा की वोटर्स की लिस्ट में करीब 24 लाख 65 हजार ऐसे वोटर्स पाए गए है जिनके नाम एक ही विधानसभा में कई बार उपयोग किया है, इतना ही नहीं नाम के साथ वहीं फोटो, पिता का नाम, पता और बाकी जानकारी भी वैसी की वैसी ही है. वहीं 91 दूसरी विधानसभा सीटों पर करीब 27 लाख ऐसे वोटर्स है जो फर्जी है. इन दोनों मामलों को मिलकर देखा जाए तो यहाँ पर करीब 55 लाख फजी वोटर्स निकलकर आते है. मध्यप्रदेश में कुल 5 करोड़ मतदाता है. वहीं फर्जी वोटर्स को देखें तो यह कुल वोटर्स का 12% होता है जो आसानी से चुनाव के परिणाम को प्रभावित कर सकता है. 5 करोड़ वोटर्स में 12% फर्जी क्यों है बड़ा मामला: मध्यप्रदेश के 2013 चुनाव के आकड़ों पर नजर डाले तो यहाँ पर आपको स्थिति साफ तौर पर क्लियर होती दिखाई देगी. पिछले चुनाव में बीजेपी को मध्यप्रदेश में 44.88% वोट मिले थे वहीं कांग्रेस को यहाँ पर 36.38% वोट मिले थे, बसपा का वोट शेयर एमपी में 6.29% था वहीं अन्य का 5.38% था. इस हिसाब से बीजेपी और कांग्रेस में यहाँ जो अंतर दिखाई देता है वो 8.50% है . वहीं कांग्रेस-बसपा को मिलाकर वोट शेयर को देखें तो यह 42.67% होता है जो बीजेपी से 2.21% कम है, जो एक मामूली सा अंतर है. 2.21% का मामूली सा अंतर है बीजेपी और विपक्ष में मध्यप्रदेश के कुल मतदाता: मध्यप्रदेश में कुल मतदाताओं की संख्या 5 करोड़ 7 लाख है. मतदाताओं में दर्ज की वृद्धि 24% है लेकिन लिस्ट के अनुसार बात करे तो यह 40% हो जाती है. जो चौंकाने वाले आकड़ें है, मतलब की यहाँ पर फर्जी वोटर्स का अंतर अगर देखा जाए तो 16% जो चुनाव परिणाम को प्रभावित करने वाला मजबूत तर्क है. 16% फर्जी वृद्धि पाई गई है जो जांच का विषय है कांग्रेस की पांच मांगें: कांग्रेस ने आज दिल्ली में चुनाव आयोग के साथ मिलकर इस मामले में पांच मुख्य मांगे रखी है. 1) चुनाव आयोग मतदाताओं की जो सूची जारी करने वाली है उसकी एक बार फिर से अच्छी तरह जांच हो उसके बाद ही जारी की जाए. 2) सूची जारी करने वाले अधिकारी से लिखित में सर्टिफिकेट माँगा जाए कि चुनाव के दौरान उसने जो काम किया है वो निष्पक्ष होकर किया है, जो कि चुनाव आयोग के नियम के अंतर्गत आता है. 3) 1 जनवरी को जारी की गई सूची में जिन अधिकारियों ने गलती की है उनके खिलाफ सेक्शन 32 के अंतर्गत कार्यवाही होनी चाहिए. 4) जुलाई में जारी होने वाली सूची के बाद भी अगर फर्जी वोटर्स पाए गए तो उन अधिकारियों के खिलाफ भी सेक्शन 32 अंतर्गत कार्यवाही की जानी चाहिए जो इस सूची बनाने में शामिल थे. 5) गड़बड़ी करने वाले अफसरों को अगले 10 साल तक किसी भी चुनावी प्रक्रिया से दूर रखा जाए.