विम्बलडन अपने आप में खेलों की दुनिया का एक बड़ा और प्रतिष्ठित टूर्नामेंट है. इंग्लैंड के लंदन में विम्बलडन ग्रास कोर्ट पर खेला जाने वाला एकमात्र ग्रैंड स्लैम भी है. इस खेल से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा जो इस खेल का हिस्सा न होते हुए भी इसके लिए बेहद अहम हो गया है. हर साल विम्बलडन ग्रैड स्लैम शुरू होते ही एक बाज़ (Hawk) सुर्खियों में आ जाता है. इस बाज का नाम रूफस है और पिछले 10 साल से यह इस टूर्नामेंट का निगेबान बना हुआ है. विम्बलडन ग्रास कोर्ट का मैदान 42 एकड़ एरिया में फैला है. ये बाज इस पुरे एरिया की निगरानी करता है. रूफस सोशल मीडिया पर भी काफी लोकप्रिय है. ग्रास कोर्ट को कबूतरों से बचाने के लिए रूफस को इसकी निगरानी के लिए रखा गया है. खास ट्रेनिंग ले चूका ये बाज रूफस जब सिर्फ 16 हफ्तों का था, तभी से विम्बलडन के कोर्ट की रक्षा कर रहा है. अमेरिकी हैरिस प्रजाति का रूफस बाज़ विम्बलडन के आयोजक ऑल इंग्लैंड क्लब की और से आधिकारिक तौर पर ग्रास कोर्ट की निगरानी के लिए यहाँ रखा गया है. इसकी देखभाल करने वाले इमोजेन डेविस के मुताबिक, रूफस रोज सुबह 5 से 9 बजे तक ग्रास कोर्ट में ड्यूटी करता है. इस दौरान 11 हजार सीटों की क्षमता वाले विम्बलडन ग्रास कोर्ट में एक भी कबूतर नहीं दिखता. रूफस की लोकेशन के बारे में पता लगाने के लिए उसके शरीर में रेडियो ट्रांसमीटर लगाया गया है. वह सोशल मीडिया पर भी एक्टिव है. 2012 में उसका ट्विटर अकाउंट भी बनाया गया. ट्विटर पर उसके 10 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स हैं. इमोजेन डेविस कहते हैं, "रूफस करीब 10 साल से कबूतरों को भगाने की ड्यूटी कर रहा है. वह हमारे लिए एक सहकर्मी की तरह है. ग्रास कोर्ट की सफाई के दौरान रूफस कबूतरों को बगल के गोल्फ कोर्स में उड़ाने में हमारी मदद करता है." इमोजेन डेविस के मुताबिक, "बारिश से मैच में कोई खलल न पड़े, इसके लिए कुछ साल मैदान के ऊपर छत बनाई गई थी. इसके बाद रूफस की जिम्मेदारी काफी बढ़ गई है. दरअसल, छत के नीचे कबूतरों ने घर बना लिया था. खाने की तलाश में कबूतर ग्रास कोर्ट की तरफ आ जाते थे. इसलिए रूफस को खास कर कबूतरों की निगरानी के लिए रखा गया. 2016 के बाद रूफस की मदद के लिए एक और बाज को ड्यूटी पर लगाया गया है." विंबलडन : सेरेना 100वीं जीत के साथ सेमीफाइनल में सचिन ने की इंग्लैंड के लिए जीत की दुआ, वीडियो वायरल 'क्रिकेट का भगवान' हुआ मायूस, इस देश ने पल भर में चूर कर दिया सपना