हिंदी सिनेमा में सितारों के बच्चों की जो मौजूदा पीढ़ी काम करती हुई दिखाई दे रही है, उसमें अगर एक्ट्रेस में किसी ने अपने काम को वाकई गंभीरता से ले चुके है तो वह जान्हवी कपूर ही हैं। करियर की शुरुआत में ही एकके उपरांत एक स्त्री प्रधान मूवीज में अभिनय करना और हर बार खुद को पिछली मूवी से बेहतर करते रहना, आसान नहीं है। सिर्फ 25 वर्ष की आयु में अकेले अपने नाम पर पहले ‘गुंजन सक्सेना द कारगिल गर्ल’ फिर ‘गुडलक जेरी’ और अब ‘मिली’ को देखने के लिए दर्शकों को खींच लाना बहुत बड़ी बात है। अपनी पहली मूवी ‘धड़क’ में भी जान्हवी के अभिनय ने लोगों को प्रभावित किया था। और, मूवी ‘मिली’ में जान्हवी ने अपनी अदाकारी को एक पायदान और ऊपर करके अपने ही काम को और भी अधिक अच्छा बना लिया है। यदि ध्यान से जान्हवी की मूवीज का डीएनए समझने का प्रयास करें तो वह खुद को एक ऐसी आत्मनिर्भर युवती के रूप में परदे पर पेश करती रही हैं, जो करोड़ों युवतियों में से किसी एक के लिए भी प्रेरणा बना, तो उनका कलाकार बनना कामयाब है। करियर की तीसरी रीमेक: फिल्म ‘मिली’ जान्हवी के करियर की तीसरी रीमेक मूवी है। मलयालम मूवी ‘हेलेन’ की इस रीमेक में मिली का प्रयास कनाडा जाकर बतौर नर्स अपना जीवन आगे बढ़ा रही है। पिता आज के जमाने का है। बेटी को उड़ने के लिए आसमान देता है। बस उसकी अपनी कुछ कमजोरियां हैं, जो शायद हर पिता की होती ही हैं। नौकरी उसकी जहां लग गई, वहां एक दिन वह मानवीय चूक से बड़े से डीप फ्रीजर (एक कमरेनुमा फ्रिज जिसके भीतर पूरा इंसान जाकर सामान रखता निकालता है) में बंद होने लग जाती है। सब कुछ बंद हो चुका है। उसकी आवाजें, उसकी गुहार सुनने वाला कोई नहीं। यहां मिली का खुद को जिंदा रखने का संघर्ष चल रहा है तो बाहर नए दौर की दुनिया का पुराने ख्यालों के लोगों से संघर्ष चल रहा है। 21वीं सदी के 22वें वर्ष में भी अगर देश की पुलिस की सोच नहीं बदली है तो कमी उनकी वर्दी का रंग एक जैसा होने की नहीं है, कमी इनकी पुलिस की नौकरी करने के पीछे की सोच बताई जा रही है। फिल्म की हीरो जान्हवी कपूर: जान्हवी कपूर ही मूवी ‘मिली’ की हीरो हैं। बाकी सब सहायक कलाकार हैं। जान्हवी ठीक ही कहती हैं कि श्रीदेवी की बेटी होने का फायदा जितना उनको मिलना था मिल गया, अब बारी उनके हुनर के इम्तिहान की है। इस इम्तिहान में जान्हवी मूवी ‘मिली’ में सम्मानसहित अंकों के साथ उत्तीर्ण हुई हैं। तारीफ इस बात की करनी होगी कि जान्हवी को जो किरदार मिल रहा है, वह उसके रंग में खुद को आसानी से सराबोर कर लेती हैं। मूवी शुरू होने के कुछ ही देर के उपरांत जान्हवी परदे पर जान्हवी दिखना बंद हो जाती हैं और यही उनके अभिनय की सबसे बड़ी जीत कही जा रही है। मिली का किरदार आसान नहीं है। उसका संघर्ष वैसा ही है जैसा किसी बर्फीले पहाड़ के किसी पतली सी दरार में फंसे इंसान का होता है। विपरीत परिस्थितियों में अकेले फंसे इंसान का खुद को जिंदा रखने का संघर्ष सिनेमा का पसंदीदा विषय बन चुका है। ऐसी मूवीज में अपनी छाप छोड़ जाने वाले कलाकारों में अब जान्हवी का नाम भी शामिल हो चुका है। फ़ोन भूत में कैटरीना ने उड़ाया एक्स-बॉयफ्रेंड की फिल्म का मजाक आखिर किस वजह से टूटा रणवीर और यशराज फिल्म्स का रिश्ता आखिर किसको याद कर रो पड़े वरुण धवन