समाज की पुरानी मान्यताएं कभी गलत नहीं होतीं, ऐसा कई बार साबित हो चुका है। निसंदेह सकारात्मक आधुनिकता ने हमारे जीवन को बदल दिया है, चाहे वह विज्ञान हो, ज्ञान हो, आर्ट हो या ऊर्जा हो। हमारा दिमाग तथा हमारे सभी अंग बॉडी को प्राप्त होने वाली ऊर्जा से चलते हैं। किन्तु तत्कालीन में युवाओं तथा बच्चों का शारीरिक तथा मानसिक ऊर्जा का शोषण होता जा रहा है। हमारी गलती से छात्रों तथा युवाओं का शारीरिक तथा मानसिक शोषण हो रहा है। इसके साथ ही संचार के विभिन्न जरियों को हमने अपनी लाइफ में व्यापकता से रचा-बसा लिया है, ऐसा लगता है। वही इसका दुष्परिणाम हमारे सामने आ चुका है कि काल्पनिक फ़ोन गेम बच्चों के मस्तिष्क पर छाते जा रहे हैं, जिससे उनकी शारीरिक क्षमता प्रभावित हो रही है। इसमें कोई आशंका नहीं कि मेडिकल साइंस ने बहुत प्रगति की है। किन्तु दूसरी तरफ हम अपने रहन-सहन की अवस्था में आए परिवर्तन को देखें तो हमारे शहरी स्थान के बच्चों का बचपन एक कमरे में कैद हो गया है। उसी कमरे से वह काल्पनिक सामूहिक स्पोर्ट्स खेलते हैं, एंड्रॉयड फोन के जरिये से। किसी का बचपन उसकी संपूर्ण लाइफ को प्रभावित करता है यह प्रमाणित सत्य है। परन्तु खानपान से लेकर खेलने की प्रक्रिया में आए व्यापक परिवर्तन की यात्र में हमारे बच्चों के बचपन की सौम्यता, सौंदर्य, बुद्धिमत्ता, संस्कार, अपनत्व, करुणा, चंचलता, निपुणता तथा साक्षरता पर तो गलत असर पड़ा ही है, साथ ही उसने बच्चों के मन पर भी डाका डाला है। इसी के साथ ये आधुनिक गेम बच्चों की सेहत के लिए बिलकुल भी अच्छे नहीं है। अब डिप्लोमा वाले विद्यार्थियों को बीई-बीटेक में प्रवेश से इंकार नहीं कर सकते संस्थान Realme C11 आज 2 बजे सेल के लिए होगा उपलब्ध, जाने कीमत अमेरिका ने इन चीनी ऐप के उपयोग पर लगाया प्रतिबंध