शिव मंदिर में भंडारा करवाने के नाम पर चंदा मांग रहे थे फरदीन और शोएब, जब राज खुला...

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली के नजफगढ़ इलाके में शिव मंदिर के नाम पर फर्जी भंडारे के लिए चंदा मांगते हुए दो युवकों की साजिश का भंडाफोड़ हुआ है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, फरदीन और शोएब खान नामक इन मुस्लिम युवकों को स्थानीय लोगों ने रंगे हाथ पकड़ लिया। दोनों राजौरी गार्डन के निवासी हैं और भगवान शिव के नाम पर ठगी कर रहे थे।  

 

रिपोर्ट के अनुसार, ये युवक नजफगढ़ सब्जी मंडी में भंडारे के नाम पर लोगों से चंदा जुटा रहे थे। आरोपियों का कहना था कि, ये चंदा कढ़ी-चावल का भंडारा कराने के लिए इकट्ठा किया जा रहा था। लेकिन इनकी सच्चाई तब सामने आई जब स्थानीय लोगों ने इनकी पहचान पर सवाल उठाए और आधार कार्ड दिखाने की मांग की। पहले तो दोनों आनाकानी करते रहे, लेकिन दबाव बढ़ने पर उन्होंने पहचान पत्र दिखाए। जब इनकी असली पहचान उजागर हुई, तो यह स्पष्ट हो गया कि इनकी किसी भी धर्म में आस्था नहीं है, खासकर हिन्दू धर्म में। ये सिर्फ भोले-भाले लोगों को ठगने के लिए भगवान के नाम का सहारा ले रहे थे। चंदा मांगकर दोनों ने जो भी पैसा इकठ्ठा किया था, स्थानीय लोगों ने वह धनराशि उनसे लेकर एक गौशाला को दान कर दी।  

इस घटना से एक बात साफ है कि अपराधी अपनी ठगी को अंजाम देने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। फरदीन और शोएब, जिनकी खुद भगवान में कोई आस्था नहीं है, ने शिव मंदिर के नाम पर चंदा इकट्ठा करने का स्वांग रचकर हिन्दू धर्म का अपमान किया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। फेसबुक पर राकेश यादव नाम के एक यूजर, जो बजरंग दल के नजफगढ़ जिला संयोजक हैं, ने इसे "चंदा जिहाद" करार दिया। इंस्टाग्राम पर देव गिरी नाम के एक यूजर ने लिखा, "भीख मांगने के लिए भी इन लोगों को हमारे धर्म का सहारा लेना पड़ता है। इनका मजहब तो इस लायक भी नहीं।"  

एक अन्य यूजर ने लिखा, "दान करने से पहले इनका आईडी देख लेना चाहिए।" जय कुमार ने सुझाव दिया कि रेहड़ी-पटरी वालों से कुछ भी खरीदने से पहले उनका क्यूआर कोड स्कैन कर लेना चाहिए, ताकि इनकी असली पहचान सामने आ सके।  यह घटना न सिर्फ ठगी का मामला है, बल्कि यह दर्शाती है कि ऐसे अपराधी किसी भी हद तक जा सकते हैं। हिन्दू धर्म में आस्था का ढोंग रचकर इन युवकों ने यह साबित कर दिया कि अपराधियों की नैतिकता का कोई स्तर नहीं होता। इनकी हरकतों से न सिर्फ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है, बल्कि समाज में ठगी और धोखाधड़ी का एक नया रूप भी सामने आया है।  

अब यह स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी है कि इस तरह की घटनाओं पर सख्त कार्रवाई करे, ताकि भविष्य में कोई और धर्म के नाम पर भोले-भाले लोगों को ठगने की हिम्मत न करे।  

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