गणतंत्र दिवस पर अपनी नियोजित ट्रैक्टर रैली को लेकर अस्पष्टता के चलते नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान यूनियनों ने कहा है कि उनकी तैयारी पूरी तैयारी में है और अधिकारियों को इसे रोकने के बजाय 'शांतिपूर्ण मार्च' की सुविधा देनी चाहिए। उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि केंद्र के साथ गतिरोध के बीच 3 विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली सीमाओं के करीब विरोध कर रहे किसानों के साथ बातचीत करने के लिए गठित एक पैनल के पास चुनने के लिए कोई ऊर्जा नहीं है। प्रमुख अदालत ने सरकार से अपनी समिति के पुनर्गठन की तलाश में याचिका पर जवाब देने को भी कहा। प्रदर्शनकारियों और अकाली दल जैसे कई विपक्षी दलों ने यह कहते हुए आपत्ति जताई थी कि पैनल के 4 सदस्यों ने पहले विवादास्पद कानूनों के पक्ष में विचार व्यक्त किए थे। भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान के सदस्यों में से एक ने सुनवाई के माध्यम से आज कहा कि समिति, किसान निकाय किसान महापंचायत से खुद को दूर किया था। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने आज सुनवाई के माध्यम से कहा, हमने समिति में विशेषज्ञों की नियुक्ति की है क्योंकि हम विशेषज्ञ नहीं हैं। प्रमुख अदालत ने पूछा, आप समिति में किसी पर आक्षेप लगा रहे हैं क्योंकि उन्होंने कृषि कानूनों पर विचार व्यक्त किए हैं? वे कृषि क्षेत्र में प्रतिभाशाली दिमाग हैं। आप उन्हें कैसे बदनाम कर सकते हैं? 'तांडव' पर सियासत जारी, अनिल देशमुख बोले- OTT पर रिलीज होने वाले कंटेंट के लिए बनाना चाहिए कानून मूल कवर छवि के विवाद के बाद निर्वाचित उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने कही ये बात ट्रम्प ने व्हाइट हाउस से बाहर निकलने से पहले किया ये काम